प्रकाश की वास्तविक अनुभूति के बिना उपदेश सुनना होगा अंधश्रद्धा: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम् पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि एक बार संध्या समय सूर्य क्षितिज में अस्त हो रहा था, आकाश लोहित हो चला था, संध्या ने अपनी लालिमा बिखेर दी थी, पक्षीगण अपने अपने घोसलों में वापस आ रहे थे, ऐसे समय में कुछ लोग एक अंधे आदमी को लेकर भगवान बुद्ध के पास आये। भगवान बुद्ध पीपल के वृक्ष तले आराम से बैठे हुए थे और गगन में फैल रहे संध्या के मनोहर रंगों को निहार कर चिंतन में डूबे हुए थे। आने वाले उस अंधे व्यक्ति का हाथ पकड़ कर आये और भगवान बुद्ध को कहने लगे, भगवन् यह इंसान अंधा है, जन्म से ही अंधा है, इस धरती पर जन्म पाकर भी प्रकाश की अनुभूति से वंचित है। हम लोग जब प्रकाश के सम्बन्ध में बातें करते हैं। तब यह प्रकाश का अस्तित्व होने से इनकार करता है। प्रकाश के बारे में हम इसे लाख समझाते हैं, किंतु यह मानता ही नहीं है। अतः हम इसे आपके पास ले आये हैं। अब आप ही इसे प्रकाश से अवगत कराइये, उपदेश दीजिये। बुद्ध कुछ क्षण मौन रहे। उन्होंने उस जन्मान्ध की ओर करुणामयी दृष्टि से देखा और फिर सामने खड़े लोगों को संबोधित करते हुए शांत स्वर में बोले- हे मित्रों! इस अन्धे भाई को मेरे उपदेश की आवश्यकता नहीं है। जिन्दगी में जिस आदमी ने किसी भी प्रकार के प्रकाश को कभी नहीं देखा है, उसे मैं प्रकाश के सम्बन्ध में उपदेश दूँगा और यह उपदेश के कारण प्रकाश के अस्तित्व को स्वीकार भी कर लेगा तो यह उसकी अंधश्रद्धा होगी। प्रकाश की वास्तविक अनुभूति के बिना, श्रद्धा उसे प्रकाश के वास्तविक अनुभव से दूर ही रखेगी। जिस सत्य का उसे अनुभव नहीं है, उसके सम्बन्ध में तर्क के द्वारा स्थापित बातें वह मान भी लेगा, और प्रकाश का वास्तविक अनुभव पाये बिना वह उसके अस्तित्व को स्वीकार भी करने लगेगा। किन्तु ऐसा अंधकार पूर्ण उपदेश उसके लिए साधक नहीं, बाधक होगा। वास्तव में मैं उसे प्रकाश के सम्बन्ध में कोई उपदेश दूँ, इससे अच्छा होगा कि आप लोग इसे आंखों के उत्तम वैद्य के पास ले जाओ और इसकी आंखों का ही उपचार करवाओ। इसे उपदेश कि नहीं उपचार की आवश्यकता है। उपचार करेंगे तो उसे दृष्टि मिलेगी और दृष्टि मिल जायेगी, तब प्रकाश के बारे में वह स्वयं ही जान लेगा और तब उसे मेरे उपदेश की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। प्रकाश के लिये उपदेश की नहीं, उपचार की आवश्यकता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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