वाराणसी। भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु बुधवार को प्रदोष व्रत रखेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा और व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत को रखने से दो गायों के दान के बराबर फल मिलता है। पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शिव पुराण और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भक्त पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। साथ ही व्रती की दुख और दरिद्रता दूर होती है। पंडित अरविंद गिरी ने बताया कि प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। इसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस दौरान स्नान के बाद पूजा के लिए बैठें। भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें। महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं। मां पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है।