लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चार कृषि विश्वविद्यालयों के स्तर से प्रस्तावित पांच प्रोजेक्ट को केंद्र ने अस्वीकार कर दिया हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने भी इन प्रोजेक्ट पर अनुदान न देने का फैसला किया है। हालांकि एक प्रोजेक्ट के लिए अनुदान का नया रास्ता सुझाया गया है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि कानपुर ने मिट्टी व पौध से संबंधित विभिन्न तरह के विश्लेषण के लिए कार्यरत मिट्टी जांच प्रयोगशाला और आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि कुमारगंज अयोध्या ने मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशाला के सुदृढ़ीकरण का प्रस्ताव भेजा था। इसी तरह बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि ने एडवांस बांस प्रोसेसिंग यूनिट व क्वालिटी टेस्टिंग सेंटर और टिशू कल्चर लैब स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा था। सैम हिग्गिनबट्टम (सुआट्स) प्रयागराज ने भी अच्छे गुणवत्ता के बीज रहित अमरूद फल के विकास का एक प्रस्ताव भेजा था। ये सभी प्रस्ताव राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई)-रफ्तार के अंतर्गत भेजे गए थे। केंद्र सरकार ने इन सभी प्रोजेक्ट पर वित्तीय सहायता देने से इनकार कर दिया है। केंद्र द्वारा वित्तीय सहायता न दिए जाने की वजह से मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति ने भी इन प्रस्तावों को मंजूरी नहीं दी है। ये पांचों प्रोजेक्ट 5 करोड़ 41 लाख 47 हजार रुपये के थे। हालांकि बांदा विवि के टिशू कल्चर लैब की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने का नया रास्ता सुझाया गया है। बताया गया है कि इस लैब के लिए केंद्र सरकार की एमआईडीएच योजना में 2.50 करोड़ रूपये तक की वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकती है। केंद्र सरकार से समन्वय कर इस परियोजना के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त कर ली जाए।