गोरखपुर। देवशयनी एकादशी मंगलवार को मनाई जा रही है। इस एकादशी के व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से चातुर्मास की भी शुरुआत होती है। इस दिन से शुभ कार्य बंद हो जाएंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करने के लिए चले जाते हैं। इसी कारण इस एकादशी को देवशयनी या पद्मा एकादशी कहते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु चार महीने के बाद कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी को निद्रा का त्याग करते हैं। जिसके बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। वाराणसी से प्रकाशित हृषिकेश पंचांग के मुताबिक इस दिन सूर्योदय सुबह पांच बजकर 19 मिनट पर और एकादशी तिथि का मानकर शाम चार बजकर 29 मिनट तक है। इस दिन अनुराधा नक्षत्र भी शाम छह बजकर 52 मिनट तक और शुक्र नामक सौम्य योग शाम छह बजकर 45 मिनट तक है। पंडित अवधेश मिश्रा के अनुसार चातुर्मास में विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन, वरवरण, कन्यावरण, वधू प्रवेश कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही नूतन गृहप्रवेश, विशिष्ट यज्ञों का आरंभ भी चातुर्मास में निषेध हैं।