गोरखपुर। गोरखपुर के नए डीआईजी स्टांप डॉ. कमलापति पांडेय ने कार्यभार संभालते ही राजस्व अर्जन को लेकर कसरत शुरू कर दी है। स्टांप चोरी रोकने के लिए एक-एक कर कई अभियान चलाए जाने की तैयारी है। बैंकों के लोन संबंधी दस्तावेज खंगालने के साथ ही खनन पट्टों की भी विभाग जांच कराएगा। स्टांप चोरी का मामला पकड़ में आने पर केस दर्ज किया जाएगा और फिर निर्धारण कर की वसूली की जाएगी। मेरठ से स्थानांतरित होकर गोरखपुर आए डीआईजी ने सोमवार को पदभार संभाला। यहां विभाग के कार्यों की समीक्षा के बाद उन्होंने राजस्व अर्जन पर जोर देते हुए उप निबंधकों को कार्य पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने बैंकों के लोन, खनन पट्टे आदि की भी पड़ताल करने का निर्देश दिया। दरअसल लोन देते समय बैंक जमीन, मकान की रजिस्ट्री के कागजात रखते हैं। कर्ज के लिए एग्रीमेंट पर स्टांप शुल्क लगाना अनिवार्य है, मगर 100 रुपये के स्टांप से इसकी खानापूर्ति की जाती है। यदि फ्लैट के लिए बैंक से कर्ज लेने पर एग्रीमेंट पर दो फीसदी स्टांप शुल्क लगता है और कर्ज किसी प्रॉपर्टी को रखकर लोन लिया जाता है उस पर 0.5 फीसदी या अधिकतम 10 हजार रुपये का स्टांप शुल्क लगता है। चाहे वह लोन शिक्षा के लिए ही क्यों न लिया जा रहा हो। यह स्टांप शुल्क लोन लेने वालों को देना पड़ता है। मगर ज्यादातर प्राइवेट बैंकों में ऐसा होता नहीं है। इससे रजिस्ट्री विभाग को करोड़ों की चपत लग रही है। डीआईजी का कहना है कि जहां-जहां स्टांप ड्यूटी अनिवार्य है, उन सभी की जांच की जाएगी और स्टांप चोरी करने वालों पर केस दर्ज कर बकाए का निर्धारण करते हुए उसकी वसूली की जाएगी।