लखनऊ। कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के बाद नेपाल सीमा पर स्थित थारू जनजाति बहुल बलई गांव को ईको टूरिज्म का नया केंद्र बनाया जाएगा। दो करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन के विकास की योजना बनाई गई है। इंडो-नेपाल बार्डर रोड के पूरी तरह बन जाने से यहां देशी-विदेशी पर्यटकों के आवागमन से पर्यटन पंख लग जाएंगे। हिमालय की तलहटी में आबाद खूबसूरत वन क्षेत्र में ईको पर्यटन को बढ़ावा देकर राजकीय कोष को समृद्ध करने की योजना वन विभाग ने बनाई है। इसके लिए जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा सटे बलई गांव का चयन किया गया है। इस गांव के महज एक किलोमीटर बाद ही नेपाल की सीमा शुरू हो जाती है। यहां प्रतिदिन हजारों की तादाद में नेपाली नागरिक कारोबार के लिए आते हैं। ऐसे में हरे-भरे जंगलों में पर्यटन की सुविधा प्रदान कर ईको टूरिज्म का केंद्र बनाया जाएगा। यहां आने वाले पर्यटक बाघ, तेंदुआ, हिरन, जंगली सुअर, लकड़बग्घा आदि के साथ थारू संस्कृति से भी रूबरू होंगे। कैंपस का सुंदरीकरण कर खूबसूरत पार्क का निर्माण किया जाएगा। इस दौरान यह भी ध्यान रखा जाएगा की जंगल की प्राकृतिक आभा से छेड़छाड़ न हो। पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के झूले लगाए जाएंगे। बैठने के लिए बेंच एवं पेयजल का भी प्रबंध होगा। इसके साथ ही 10 किलोमीटर लंबे सफारी ट्रैक का निर्माण होगा। इस ट्रैक पर पर्यटकों को घुमाने के चार जिप्सी भी खरीदी जाएगी। वन ग्राम बलई गांव में पर्यटकों के विश्राम कर थारू संस्कृति एवं खानपान से रूबरू होने के लिए चार थारू हट व भोजनालय का भी निर्माण कराया जाएगा। वन विभाग ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है, जिसे जल्द ही मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है।