लखनऊ। राज्य सरकार ने अर्थव्यवस्था को 10 खरब डालर तक पहुंचाने के लिए कंसल्टेंट का चयन प्रतिस्पर्धा के जरिए नहीं करेगी। शासन की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने बिना प्रतिस्पर्धा केंद्र सरकार की संस्था इन्वेस्ट इंडिया को बतौर कंसल्टेंट जोड़ने की सिफारिश कर दी है। कंसल्टेंट पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। अब इस संस्तुति पर अंतिम फैसला प्रदेश कैबिनेट करेगी। गौरतलब है कि सरकार ने राज्य सरकार की अर्थव्यवस्था को 10 खरब डालर तक पहुंचाने के लिए आईआईएम लखनऊ के साथ लंबे विचार-विमर्श के बाद तय रूपरेखा पर आगे बढ़ने की योजना बनाई थी। इसके लिए कंसल्टेंट की सेवाएं लेने का फैसला हुआ था। शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व में नियोजन विभाग ने जब निविदा के जरिए कंसल्टेंट चयन की कार्रवाई शुरू की थी, तब निविदा में न्यूनतम वित्तीय प्रस्ताव 43.60 करोड़ रुपये का प्राप्त हुआ था। इसे किन्हीं कारणों से बीच में रद्द करना पड़ा। बाद में इन्वेस्ट इंडिया ने इस प्रोजेक्ट पर 45.50 करोड़ रुपये खर्च का प्रस्ताव पेश किया। नियोजन विभाग ने इन्वेस्ट इंडिया के प्रस्ताव पर 45 करोड़ की धनराशि को औचित्यपूर्ण करार दिया है। दरअसल, निविदा रद्द होने के बाद उच्च स्तर पर प्राप्त निर्देश के क्रम में नामिनेशन बेसिसपर कंसल्टेंट का चयन करने पर सहमति बनी। इसके लिए कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की गई थी। इस समिति ने अपनी संस्तुति शासन को दे दी है।