शरीर में खून का होना उतना ही जरूरी है, जितना कि…

स्‍वास्‍थ्‍य। शरीर में खून का होना उतना ही जरूरी है, जितना कि जीने के लिए सांस लेना होता है। अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ल्यूकेमिया भी खून से जुड़ी ही एक गंभीर बीमारी है, जिसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है। इस बीमारी में शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाओं) की संख्या असामान्य रूप से बढ़ जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जब सफेद रक्त कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुंचती है, तो ल्यूकेमिया बीमारी विकसित होती है। इस कैंसर की कोशिकाएं अस्थि मज्जा में बढ़ती हैं और अस्थि मज्जा में रहकर ही स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को सामान्य रूप से बढ़ने और कार्य करने से रोकती हैं। अगर समय पर इसका इलाज न किया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसलिए इसके लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। ल्यूकेमिया के लक्षण:- खून का बहना: खून के थक्के बनने में प्लेटलेट्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन इस बीमारी के कारण प्लेटलेट्स का उत्पादन प्रभावित होता है। ऐसे में शरीर में कहीं भी चोट लगने पर आसानी से घाव बन जाते हैं या खून बहता है। अगर आपको भी कहीं चोट लगी है और घाव जल्दी नहीं भर रहा है तो एक बार ल्यूकेमिया की जांच जरूर करवा लें। बार-बार संक्रमण होना: सफेद रक्त कोशिकाओं का काम शरीर को संक्रमण से बचाना होता है, लेकिन जब वो ठीक से काम नहीं कर पाती हैं और उनकी संख्या अनियंत्रित हो जाती है तो शरीर आसानी से संक्रमण का शिकार हो जाता है। इसलिए बुखार, ठंड लगना, और खांसी जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हड्डी और जोड़ों में दर्द: ल्यूकेमिया की बीमारी में हड्डियों में तेज दर्द, जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या देखने को मिल सकती है। दरअसल ये समस्याएं अस्थि मज्जा में ल्यूकेमिक कोशिकाओं के तेजी से बढ़ने के कारण होती हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की गलती बिल्कुल न करें, बल्कि डॉक्टर को दिखाएं।

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