मथुरा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जन-जन के आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारी पीत वस्त्र (पीले) धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। ठाकुरजी के मंदिर में रात्रि 12 बजे श्रीबांकेबिहारी के श्रीविग्रह का दूध, दही, बूरा, शहद और घी से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भगवान को पीत रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी। मंदिर के सेवायत रघु गोस्वामी ने बताया कि उनके यजमान के द्वारा ठाकुर श्रीबांकेबिहारी को यह पोशाक अर्पित की गई है। रात लगभग 2 बजे मंगला आरती के दर्शन होंगे और विशेष थालों में ठाकुरजी को भोग भी निवेदित किए जाएंगे। सुबह 5:30 तक भक्त दर्शन लाभ ले सकेंगे। वहीं 31 अगस्त को प्रात: 7:45 से 12 बजे तक नंदोत्सव दर्शन होंगे। इसके बाद ददिकांधा होगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वृंदावन में बड़ी संख्या में श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाने के लिए हजारों भक्त एवं श्रद्धालुओं के जनसमूह का आना प्रारंभ हो गया है। मथुरा और वृंदावन के अधिकांश होटल और गेस्ट श्रद्धालु रुके हुए हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में दर्शन की व्यवस्था वन वे होगी। 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वन वे व्यवस्था के तहत विद्यापीठ चौराहा और बांकेबिहारी पुलिस चौकी की ओर से मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को गेट नंबर 3 से श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा, जबकि परिक्रमा मार्ग वीआईपी रोड से आने वाले श्रद्धालु गेट 2 से अंदर जाएंगे। श्रद्धालुओं को दर्शन के बाद गेट नंबर 1 और 4 से निकाला जाएगा। वहीं मंदिर प्रबंधन की ओर से विद्यापीठ चौराहा, वीआईपी मार्ग, सनेह बिहारी मंदिर के समीप और गौतम पाड़ा में जूता घर बनाए हैं। मथुरा और वृंदावन के मंदिरों और आश्रमों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। पावन पर्व को लेकर लोगों में विशेष उत्साह दिख रहा है। 30 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व को मनाने के लिए देश ही नहीं विदेशी श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। विभिन्न आश्रमों और मंदिरों में उत्साह से महोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जगह-जगह तोरण और स्वागत द्वार बनाए गए हैं। भक्त भी अपने लाडले के जन्मोत्सव की आस में ब्रज में डेरा डाले हुए हैं। ब्रज वृंदावन की पावन भूमि आनंद कंद भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली होने के कारण सनातन धर्म के अनुयायियों का मुख्य केंद्र रही है। धर्मभूमि में रामानुज संप्रदाय, निम्बार्क संप्रदाय, हरिदासी संप्रदाय, चैतन्य संप्रदाय, शैव संप्रदाय, राधा वल्लभीय संप्रदाय, गौड़ीया संप्रदाय आदि संप्रदायों के विभिन्न मंदिर एवं आश्रमों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इन्हीं संप्रदायों से जुड़े भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व विशेष अवसर है, जब वे अपने आराध्य का पूजन-अर्चन करने के लिए देश विदेशों से ब्रज वृंदावन में एकत्रित होते हैं। – महंत डॉ. अधिकारी गुरुजी महाराज