मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने बीए फर्स्ट ईयर के कोर्स के लिए ‘रामचरितमानस का व्यावहारिक दर्शन’ नाम से सिलेबस तैयार किया है। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने सोमवार को कहा कि प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को कला संकाय में दर्शनशास्त्र के तहत वैकल्पिक विषय के रूप में महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ की पेशकश की जाएगी। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम समिति की सिफारिश पर इसे शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक (बीए) के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए वैकल्पिक पाठ्यक्रम के रूप में पेश किया गया है। यादव ने कहा कि रामचरितमानस में विज्ञान, संस्कृति, साहित्य और श्रृंगार है। यह किसी धर्म विशेष के बारे में नहीं है। हमने उर्दू गजल को भी एक विषय के रूप में पेश किया है। मंत्री ने कहा कि 60 घंटे तक चलने वाले इस ऐच्छिक पाठ्यक्रम से छात्रों में मानवीय दृष्टिकोण और संतुलित नेतृत्व क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने बताया कि इस विषय में कुल 100 नंबर का पेपर भी होगा। रामचरितमानस को वैकल्पिक तौर पर दर्शन शास्त्र विषय में रखा गया है। मंत्री मोहन यादव ने बताया कि नई शिक्षा नीति में 131 प्रकार के कोर्स हम लाए हैं, उसने हमने रामायण के पक्ष को लेकर रामचरितमानस को हमने वैकल्पिक विषय के तौर पर रखा है। मोहन यादव ने कहा मुझे लगता है कि इसमें गलत क्या है। भारत में अगर राम का नाम नहीं आएगा तो फिर क्या पाकिस्तान में आएगा। हमने इसमें उर्दू भाषा को भी जोड़ा है, गजल के बारे में भी हम पढ़ाने जा रहे हैं। राम सेतु भगवान राम के द्वारा निर्मित है इसलिए उसको भी जानना इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए जरूरी है, क्योंकि उन्हें यह पता होना चाहिए कि हजारों साल पहले से ही भारत विज्ञान में महारथ हासिल कर चुका था।