राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जीवन दो दिन का- शुकताल की पावन भूमि पर राजा परीक्षित की उस महासभा में बड़े-बड़े मुनि महात्मा आये, क्या होना चाहिये विचार चलने लगा। श्री शुकदेवे जी महाराज का आगमन हुआ व्यास पुत्र के रूप में भगवान ही आये। राजा परीक्षित के जन्म वाले दिन भी भगवान उत्तरा पुत्र बन करके उनकी रक्षा किये और अंतिम दिन व्यास पुत्र वन करके भगवान पधारे। पहले जन्म सुधार ने आये अब मृत्यु सुधारने आये। हमारे जीवन का दो दिन बड़ा महत्वपूर्ण है। दोनों के मध्य में जीवन है। इसीलिए महात्माओं ने कहा जीवन दो दिन का। हम बरसों जीते हैं। तो दो दिन कैसे- इसी तरह- संतो ने गाया है। राम नाम सुखदाई, भजो रे मेरे भाई, ये जीवन दो दिन का। ये तन है जंगल की लकड़ी, आग लगै जल जाई, भजो रे मेरे भाई। जीवन दो दिन का- ये दो दिन सुधर जाय तो कल्याण, लेकिन ये दो दिन कैसे सुधरता है? एक पहला दिन, उस दिन तो हम कुछ करने लायक नहीं रहते हैं। वो दिन भगवान के हाथ होता है। जिस दिन जीव मनुष्य रूप में जन्म लेता है। उस दिन भगवान कृपा दृष्टि से देख लेते हैं, वही जीवात्मा आगे चलकर भगवान का भक्त होता है। शास्त्र का वचन है- जायमानं हि पुरुषं यं पश्येन मधुसूदनः सात्विकस्य तु सत विज्ञेयः।
उस जायमान बालक को- यं पश्येन् मधुसूदनः भगवान मधुसूदन देख लेते हैं अपनी कृपा दृष्टि से-सात्विकस्य तु सत् विज्ञेयः वही जीवात्मा आगे चलकर सात्विक बनता है, वही भगवान का भक्त होता है और अंतिम दिन जो मृत्यु का दिन है, वो अपने हाथ में है। वो अपने हाथ में कैसे हैं? जीवन में भजन, पूजन, साधन के द्वारा भगवान का नाम संकीर्तन करके, अपने मन, को बुद्धि को ऐसा बना लो कि- जब मृत्यु आवे तब संसार का स्मरण न हो, एकमात्र भगवान का स्मरण हो। अंतिम दिन भगवान् की स्मृति आ जाय तो अंतिम दिन सुधर जाय। जन्म के दिन भगवान की दृष्टि नहीं मिली तो कोई बात नहीं। सत्संग आदि से जीवन में भजन साधन कर अंतिम दिन सुधार लेना चाहिए, ताकि भगवान का स्मरण बन जाय। वास्तव में यही जीवन का परम लाभ है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान
वृद्धाश्रम एवं वात्सल्य धाम का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री- श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में- चातुर्मास के पावन अवसर पर , श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा के तृतीय दिवस विदुरचरित्र, ध्रुव जी का मंगलमय चरित्र और भक्त प्रह्लाद की कथा का गान किया गया। कल की कथा में श्री कृष्ण जन्म की कथा का गान किया जायेगा।