नई दिल्ली। दिल्ली में स्वच्छ पेयजल का संकट लोगों के लिए बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन अब सरकार लोगों के घरों तक आरओ फिल्टर का पानी सप्लाई करने की योजना बना रही है। इससे पानी के दूषित होने या उसकी गुणवत्ता का सवाल समाप्त हो सकता है। इस योजना को अमल में लाने के लिए पहले चरण में 363 एमएलडी क्षमता के आरओ प्लांट लगाए जाएंगे। अनुमान है कि इससे 7.25 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। अगर इस पायलट प्रोजेक्ट में योजना सफल रही तो इसे बाकी दिल्ली में भी धीरे-धीरे लागू कर दिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार राजधानी में रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने डीजेबी अधिकारियों के साथ बैठक के बाद बताया कि जल के शुद्धिकरण प्रक्रिया के दौरान बहुत सारा पानी बर्बाद हो जाता है, लेकिन दिल्ली सरकार अत्याधुनिक तकनीक से बने आरओ संयंतत्रों का उपयोग करेगी, जिसकी जल रिकवरी दर 80 फीसद होगी। पहले चरण में 363 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की कुल क्षमता वाले आरओ संयंत्र चिन्हित स्थानों पर लगाए जाएंगे। इस योजना को एक वर्ष के अंदर पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के भूजल में 22 लाख मिलियन गैलन लीटर से अधिक खारा पानी है। इस पानी को पीने योग्य बनाने के लिए इसे आरओ से ट्रीट करने की जरूरत है, जिसके बाद इसे घरों तक पहुंचाया जा सकेगा। सरकार आरओ संयंत्र ऐसे इलाकों में लगाएगी जहां भूजल ज्यादा है, लेकिन खारेपन के कारण यह पीने योग्य नहीं है। ओखला, द्वारका, नीलोठी- नांगलोई, चिल्ला और नजफगढ़ से 363 एमएलडी जल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। दिल्ली जल बोर्ड 5130 एमएलडी पानी की मांग के मुकाबले 4230 एमएलडी पानी की आपूर्ति कर रहा है। इस परियोजना से अतिरिक्त 363 एमएलडी पानी बढ़ेगा, जिससे राजधानी का 900 एमएलडी पानी का घाटा घटकर 540 एमएलडी हो जाएगा।