नई दिल्ली। दक्षिणी निगम ने व्यावसायिक संपति कर बढ़ाने के अपने फैसले को 100 फीसदी वापस लेने का निर्णय लिया है। निगम के इस निर्णय से किराए पर चल रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, शिक्षा केंद्रों, बैंक्वेट हॉल जैसे तमाम दूसरे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के मालिकों को राहत मिलेगी। अगले साल करीब छह महीने बाद होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले निगम में सत्तासीन भाजपा एक के बाद लोक लुभावने निर्णय ले रही है। मंगलवार को दक्षिणी निगम की स्थायी समिति की बैठक में संपत्ति कर बढ़ाने के निर्णय को 100 फीसदी वापस लेने का फैसला करके भाजपा ने सीधे तौर पर व्यापारियों को लुभाने का प्रयास किया है। म्यूनिसिपल वैल्यूएशन कमेटी-3 ने 2019 में किराए के वाणिज्यिक परिसरों, खाली भूमि, टेलिकॉम टॉवर, मनोरंजन व विश्राम गृहों, क्लबों, शैक्षिक संस्थानों, अतिथि गृहों, लॉज और बैंक्वेट हॉल का संपत्ति कर करीब दो गुना करने की सिफारिश की थी। दक्षिणी निगम ने सिफारिश को मानते हुए अप्रैल में इसे पास कर दिया गया था। स्थायी समिति के अध्यक्ष बी. के. ओबरॉय ने बताया कि दक्षिणी निगम क्षेत्र में करीब 9000 से अधिक वाणिज्यिक संपत्ति मालिकों को इसका फायदा मिलेगा। जबकि निगम को करीब 70-80 करोड़ रुपया हर साल घाटा होगा। लेकिन जनहित में इस निर्णय को लिया गया है।