नई दिल्ली। भले ही भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर तनाव बना हुआ है, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने आज चीन की अर्थव्यवस्था का लाभ विषय पर आयोजित सेमिनार में कहा कि तमाम विरोधों के बावजूद भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार सदी के अंत में तेजी से बढ़ा है। पिछले साल दोनों देशों के बीच कुल व्यापार लगभग 88 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। श्रृंगला ने कहा कि इस साल के पहले 9 महीनों में हमारा द्विपक्षीय व्यापार 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 49 फीसदी अधिक है। इस रफ्तार से हम दो देशों के बीच अब तक का सबसे अधिक द्विपक्षीय व्यापार की संभावना रखते हैं। हालांकि ये व्यापार चीन के पक्ष में असंतुलित रहता है। हमारे व्यापार घाटे की चिंताएं दोगुनी हैं। पहला है घाटे का वास्तविक आकार। 9 महीने की अवधि के लिए व्यापार घाटा 47 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। यह किसी भी देश के साथ हमारा सबसे बड़ा व्यापार घाटा है। दूसरा तथ्य यह है कि असंतुलन लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे अधिकांश कृषि उत्पादों और जिन क्षेत्रों में हम प्रतिस्पर्धी हैं, जैसे कि फार्मास्यूटिकल्स, आईटी/आईटीईएस, आदि के लिए गैर-टैरिफ बाधाएं बरकरार हैं। विदेश सचिव ने कहा कि भले ही हम चीन के सामने इन मुद्दों को रख रहे हैं, पर हमें भी अपने देश में इस पर काम करने की जरूरत है। इसीलिए आत्मानिर्भर भारत न केवल अपनी मदद करने में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में एक ताकत के रूप में उभरने के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो जाता है।