जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर में अगले साल विधानसभा चुनाव को तय मानकर राजनीतिक दलों ने सियासी गतिविधियों में तेजी लाई है। कश्मीर में टारगेट किलिंग के बाद ज्यादातर राजनीतिक गतिविधियां जम्मू संभाग पर केंद्रित हैं। नेकां हो या भाजपा या कांग्रेस इन पार्टियों के नेताओं ने अपनी सियासी जमीन जम्मू संभाग में मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर होमवर्क तेज कर दिया है। अनुच्छेद 370 व 35-ए के खात्मे के बाद जम्मू-कश्मीर में बदले सियासी परिदृश्य और नेताओं की विचारधारा से लेकर एजेंडे में आए बदलाव के अनुसार पार्टियों के नेता अपने हित और लाभ को देखते हुए दल बदल रहे हैं। यह सिलसिला विधानसभा चुनाव तक जारी रहने के आसार हैं। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद प्रदेश में अपनी पार्टी का गठन हुआ। इसमें पीडीपी, नेकां व कांग्रेस के कई नेता शामिल हुए। नेकां के संभागीय अध्यक्ष जम्मू देवेंद्र राणा व पूर्व मंत्री सुरजीत सलाथिया भाजपा में शामिल हो चुके हैं। उनके समर्थक नेता व कार्यकर्ता भी आने वाले दिनों में भाजपा या अन्य पार्टियों का दामन थाम सकते हैं। इकजुट जम्मू का गठन भी हो चुका है। आम आदमी पार्टी जैसे दल भी प्रदेश में अपनी गतिविधियां बढ़ाने में लगे हुए हैं। केंद्र ने परिसीमन आयोग को 31 मार्च, 2022 से पहले अपनी रिपोर्ट देने को कहा है।