चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने चिकित्सकों के खिलाफ शिकायतों के प्रभावी निपटाने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) अधिनियम, 2019 के तहत बनाए जाने वाले नए नियमों में शामिल करने के लिए 12 दिशा-निर्देशों का एक सेट जारी किया। न्यायमूर्ति आर महादेवन ने यह दिशानिर्देश इसी वर्ष चार मई को तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल की तरफ से गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर पी बसुमनी को छह माह के लिए प्रैक्टिस से प्रतिबंधित करने के आदेश को रद्द करते जारी किए। पीठ ने कहा कि पंजीकृत चिकित्सक के कर्तव्यों को स्पष्ट करना चाहिए। डॉक्टर से अपेक्षित सामान्य कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के साथ ही कुछ विशिष्ट कर्तव्यों और जिम्मेदारियों, जिनके उल्लंघन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी को भी सूची में साफ तौर पर ‘पेशेवर कदाचार’ के रूप में शामिल किया जाए। इसके बाद, एक पीड़ित व्यक्ति की तरफ से शिकायत दर्ज करने से लेकर उसके बाद की पूरी प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से राज्यवार पेश किया जाए। अनुशासनात्मक कार्यवाही को किसी भी तरह की खामियों से मुक्त करने के लिए जांच समिति की रिपोर्ट को अंतिम और राज्य चिकित्सा परिषद, नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड के अनुशासन बोर्ड के लिए बाध्यकारी बनाया जाए। रिपोर्ट में अगर चिकित्सक दोषी पाया जाए तो सक्षम प्राधिकरण दंड पर निर्णय ले सकता है।