नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की एक नई याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने ट्विन टावरों को गिराने के लिए और खरीदारों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए अदालत की ओर से निर्धारित समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी। सुपरटेक के यह 40 मंजिलों वाले ट्विन टावर नोएडा में इसके एमेराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में स्थित हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमारे पिछले फैसले को देखते हुए इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि हम निर्णय सुनाए जाने के बाद किसी भी आवेदन पर विचार नहीं कर सकते हैं और समय सीमा में किसी भी तरह का विस्तार नहीं दे सकते हैं। आपको उन्हें (घर खरीदने वाले लोगों को) भुगतान करना होगा। पीठ ने कहा कि कंपनी को आदेश में बताई गई राशि का भुगतान करना होगा। इससे पहले अक्तूबर में भी शीर्ष अदालत ने ट्विन टावरों को ध्वस्त करने के अपने आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया था। सुपरटेक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि जिस तरह याचिका का मसौदा तैयार किया गया है, उससे मैं भी संतुष्ट नहीं हूं। उन्होंने दिवाली की छुट्टियों के बाद मामले की सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कंपनी को ट्विन टावर ढहाने और खरीदारों को मुआवजे के भुगतान पर अदालत के निर्देशों को लागू करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता है। सुपरटेक के इन 40 मंजिला ट्विन टावरों में 915 अपार्टमेंट हैं और 21 दुकानें हैं।