मुंबई। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा है कि केंद्र सरकार एक मसौदा फिल्म नीति लाएगी। यह नीति 14 राज्यों की ओर से पेश की गई फिल्म सुविधा नीतियों पर आधारित होगी। चंद्रा ने यह बात मुंबई में पर्यावरण मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित एक फिल्म पर्यटन संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि सरकार इस मॉडल फिल्म नीति को अन्य राज्यों के बीच भी प्रसारित करेगी, ताकि वे भी इसे अपना सकें। इसके साथ ही उन्होंने फिल्म की शूटिंग करने में आसानी यानी ‘ईज ऑफ फिल्मिंग’ की जरूरत पर भी जोर देते हुए कहा कि प्रोत्साहन से ज्यादा जरूरी फिल्म की शूटिंग में आसानी और इसके लिए बिना दिक्कत मंजूरी मिलना है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि भारत में लागत कम होने के बावजूद, फिल्म निर्माताओं को लगता है कि भारत में शूटिंग के लिए अनुमति पाना महंगा है, जबकि विदेशों में शूटिंग करना आसान है। राज्य सरकारों को खास तौर पर इस ओर देखना होगा, क्योंकि अनुमति देने का काम उनका ही है। राज्यों को फिल्म उद्योग से जानना चाहिए कि वो इसे लेकर क्या चाहते हैं। फिल्म सुविधा कार्यालय (एफएफओ) को लेकर चंद्रा ने कहा कि इसने 2015 में अपने गठन के बाद पिछले पांच-छह वर्षो में 27 देशों के 120 अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं को भारत में शूटिंग की सुविधा दी है। ऐसी घरेलू फिल्मों की संख्या महज 70 है। उन्होने कहा कि विदेशी फिल्मों की तुलना में घरेलू फिल्मों की शूटिंग भारत में काफी कम होती है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि फिल्में पर्यटन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाती हैं। स्विट्जरलैंड में एक एक्सप्रेस ट्रेन का नाम प्रख्यात निर्देशक बीआर चोपड़ा के नाम पर है। जम्मू-कश्मीर की एक घाटी को बेताब घाटी कहा जाता है, क्योंकि यहां बेताब फिल्म की शूटिंग हुई थी। तवांग में एक झील है, जिसका नाम मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के नाम पर है।