जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने दूसरे राज्यों में वाहनों का टोकन टैक्स अदा करने वालों से प्रदेश में दोबारा टोकन टैक्स नहीं लेने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि वाहन पर टोकन टैक्स की अदायगी यदि दूसरे राज्य में की जा चुकी है, तो सरकार जम्मू-कश्मीर में दोबारा नौ फीसदी टैक्स की मांग नहीं कर सकती। हाईकोर्ट के जस्टिस अली मोहम्मद मागरे और जस्टिस संजय धर की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले पर परिवहन विभाग के आयुक्त सचिव, परिवहन आयुक्त और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कश्मीर दस जून को जारी सर्कुलर पर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करें। जवाब न देने पर तीनों अधिकारियों को अगली तारीख दो दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होना होगा। अवमानना याचिका में याची के वकील फैसल कादरी ने कहा कि आरटीओ कश्मीर की ओर से जारी टोकन टैक्स वसूली आदेश को हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल के फैसले में खारिज कर दिया था। आयुक्त सचिव ने 10 जून को दोबारा आदेश जारी कर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने केवल बाहरी राज्यों से पंजीकृत वाहनों के दस्तावेजों को जांचने और सत्यापित करने को कहा था, लेकिन परिवहन विभाग ने पहले से पंजीकृत वाहनों से दोबारा नौ फीसदी टोकन टैक्स मांगना शुरू कर दिया। एडवोकेट कादरी ने कहा कि यह कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि संबंधित अधिकारी कोर्ट के आदेश को सही भावना के अनुरूप अमल में लाएं। वे नौ फीसदी टोकन टैक्स की दोबारा मांग नहीं कर सकते। अधिकारियों को अवमानना याचिका के मद्देनजर कोर्ट में जवाब दाखिल करना होगा, अन्यथा व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा।