नई दिल्ली। नेशनल सेंटर फोर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फोर डिसैबल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) ने इंटरनेशनल डे ऑफ पर्सन्स विद डिसैबिलिटीज के अवसर पर मिसिंग मिलियंस कैंपेन लांच किया। कैंपेन का लक्ष्य मुख्यधारा से कटे लाखों दिव्यांगजनों की आवाज को बुलंद करना है, ताकि जीवन के सभी क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी हो सके। कांस्टीट्यूनशल क्लब ऑफ इंडिया में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत यूनेस्को नई दिल्ली के निदेशक एरिक फाल्ट के वीडियो संदेश से हुई। उन्होंने इस कैंपेन के लिए एनसीपीईडीपी को बधाई दी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्रीपति रविंद्र भट्ट ने कैंपेन को लांच किया। इस दौरान जिसकी गिनती नहीं होती है, उसे गिना भी नहीं जाता है पर फोकस वीडियो भी दिखाया गया। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सामान्य लोग दिव्यांगजनों की जरूरतों पर नीतियों के निर्माण के समय उन्हें प्रमुख साझीदार मानकर उनके साथ टेबल साझा करें। कैंपेन लांच के बाद दिव्यांगजनों की चुनौतियों और आगे के मार्ग पर दो पैनल चर्चाएं हुई जिनमें कई प्रभावशाली वक्ताओं ने हिस्सा लिया। इस मौके पर वीआर फेरोस की किताब इनविजिबल मेजोरिटी किताब को सांसद गौरव गोगोई ने लांच किया।