पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि जिस प्रकार सूर्योदय और सूर्यास्त व्यवहार के शब्द हैं उसी प्रकार जन्म और मृत्यु व्यवहार के शब्द है। वास्तव में जन्म और मृत्यु है ही नहीं। हम दो चीज को मानते हैं, प्रकाश और अंधकार। वास्तव में देखा जाये तो ये दो चीजें भी नहीं हैं, तो क्या है? प्रकाश का होना और नहीं होना। प्रकाश नहीं है उसको हम अंधकार कहते हैं।
प्रकाश और अंधकार दो चीज नहीं है या तो प्रकाश है या तो प्रकाश नहीं है। उसी को हम अंधकार कहते हैं। जहां सत् प्रकाशित नहीं हो रहा है, उसे हम असत् कहते हैं। लेकिन जिस प्रकार अंधकार का अस्तित्व नहीं है ऐसे ही असत् का अस्तित्व नहीं है। ज्ञान तो सत् है, इसलिये नित्य है। इसलिये उसका अभाव नहीं है। वह अविनाशी है। आत्मा सत् वस्तु है। इसलिये उसका अभाव नहीं है। वह अविनाशी है, नित्य है और आत्मा का स्वरूप कैसा है? सत्-चित-आनंद।
सूक्ष्म रूप से देखा जाये तो न तो सूर्य उगता है और न सूर्य अस्त होता है। सूर्य उगने की और अस्त होने की क्रिया करता ही नहीं है। हम समझते हैं कि सूर्य उगता है और अस्त होता है। इसी तरह आत्मा जन्म की और मरने की क्रिया करता ही नहीं है। हम कहते हैं कि व्यक्ति का जन्म हुआ और उसकी मृत्यु हुई। आत्मा न तो मरती है, न तो जन्म लेती है। उसका अस्तित्व तो है ही।
भगवान् श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता में कहते हैं- न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः। अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।श्रीमद्भगवद्गीता 2/20 आत्मा न जन्म लेता है, न मरता है, न उत्पन्न होता है। अर्थात् मिटकर न फिर से जन्म लेने वाला है। वह नित्य है, अजन्मा है, शाश्वत है, पुराण है, पुराण का मतलब प्राचीन होने के साथ भी नित्य नया।गंगा बरसों से बहती है।
इसलिये वह पुरानी है। मगर गंगा की धारा में बहता हुआ पानी हर क्षण नया है। इस अर्थ में गंगा प्राचीन भी हैं और नूतन भी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं श्री दिव्य घनश्याम धाम गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश)श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।