नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि समयपूर्व सेवानिवृत्ति का आदेश कर्मचारी के पूरे सेवा रिकॉर्ड के आधार पर पारित किया जाना चाहिए। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश को दरकिनार करते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के एक कांस्टेबल को समयपूर्व सेवानिवृत्त करने को सही ठहराया।
पीठ ने कहा कि समयपूर्व सेवानिवृत्ति के लिए पूरे सेवा अवधि रिकॉर्ड पर गौर किया जाना चाहिए जिसमें पदोन्नति से पहले की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट भी शामिल हो। हालांकि हालिया रिपोर्ट का भी अपना महत्व है। पीठ ने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जनहित में है और सरकार की संतुष्टि के बाद पारित किया गया है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश अदालत से सिर्फ इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि विपरीत टिप्पणी का संप्रेषण नहीं हो पाया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीआईएसएफ के सिपाही का अनिवार्य सेवानिवृत्ति खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने अपने पुराने फैसलों का हवाला दिया और कहा कि यदि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला तथ्यों पर आधारित है तो अदालतों को जबरन रिटायरमेंट के अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।