नई दिल्ली। पिछले साल अक्टूबर में फेसबुक का नामकरण हुआ है, जिसके बाद कंपनी को मेटा के नाम से जाना जा रहा है। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा है कि वे चाहते हैं कि दुनिया उनकी कंपनी को सिर्फ फेसबुक के तौर पर नहीं, बल्कि एक मेटावर्स के रूप में जाने, लेकिन लगता है कि दुनिया को कंपनी का नया नाम रास नहीं आ रहा है।
नए नाम के बाद भी विवाद कंपनी का पीछा नहीं छोड़ रहे। मेटा ने अपने एक बयान में कहा है कि यदि उसे अन्य देशों के साथ यूरोपियन यूजर्स का डाटा शेयर करने की इजाजत नहीं मिलती है, तो उसे अपनी सेवाएं बंद करनी होगी। मेटा ने कहा है कि यूजर्स का डाटा शेयर ना होने से उसकी सर्विसेज पर प्रभाव पड़ता है। यूजर्स डाटा के आधार पर ही कंपनी यूजर्स को विज्ञापन दिखाती है।
साफतौर पर मेटा ने कहा है कि वह 2022 की नई शर्तों को वह स्वीकार तो करेगा लेकिन यदि डाटा ट्रांसफर की सुविधा नहीं मिलती है तो उसे फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित अपनी कई सेवाएं बंद करनी पड़ेंगी।