राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा की भगवान श्री कृष्ण आत्मा के अविनाशी स्वरूप को अपने सखा अर्जुन को समझा रहे हैं। आत्मा जन्मती नहीं है और मरती भी नहीं है। जिस प्रकार सूर्य का उदय भी नहीं होता और सूर्य का अस्त भी नहीं होता, इस तरह न आत्मा का जन्म होता है न आत्मा की मृत्यु होती है। जिस संशय में समाधान की प्यास नहीं होती वह संशय धीरे-धीरे सिद्धांत का रूप लेता है और संशय को सिद्धांत समझने की भूल मत करना, वरना जीवन नष्ट होगा। अगर संशय होते हैं तो किसी अनुभूति पा चुके संत के पास उसे प्रगट कर देना चाहिए। बुद्ध कहेंगे शून्य हो जाओ। तो शंकराचार्य कहेंगे पूर्ण हो जाओ। जो सबको रमाता है, वह राम है और जो सबको रुलाता है वो रावण है। यदि इस संसार में हम सबको रोना बंद करना है तो मोह रूपी दशानन से मुक्त हो जायें, राम से युक्त हो जायें। संसार में कर्मवश जीव को आना पड़ता है और करुणावश भगवान् का अवतरण होता है। लीन्ह मनुज अवतार भगवान् मानव बनकर आए हैं कि हम भी मनुज बनना सीखें, हम सच्चे इंसान बने, क्योंकि मोह रूपी दशानन को मारना है तो वह सच्ची मनुजता से ही मरेगा। सच्चे और अच्छे इंसान बनेंगे और इंसान बनने का मतलब ही है- किसी के काम जो आये उसे इंसान कहते हैं, पराया दर्द अपनाये उसे इंसान कहते हैं। श्री रामचरितमानस में भी आया है- परहित सरिस धर्म नहीं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।। जो दूसरों के लिये जीना सीखें, समाज के लिये जीना सीखें, राष्ट्र के लिये जीना सीखें, धर्म के लिये जीना सीखें वह जीवन ही जीवन है। स्वार्थमय जीवन में तो संघर्ष ही शेष रहता है और जहां संघर्ष है वहां शांति कैसे हो सकती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।