नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन के बाद अब भारतीय वैज्ञानिकों की एक और खोज ने विश्व स्तर पर सराहना बटोरी है। सर्बिया के वैज्ञानिकों ने भारतीय खोज बीजीआर-34 दवा पर हुए चिकित्सीय अध्ययन को प्राथमिकता दी है।
इसके अनुसार मधुमेह पर नियंत्रण के अलावा यह दवा बीटा कोशिकाओं को मजबूती देती है। कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को बूस्ट करने से मधुमेह में तेजी से गिरावट आने लगती है। अध्ययन में एलोपै?थी के साथ आयुर्वेद के फार्मूले को कारगर माना है।
जानकारी के अनुसार पंजाब ?के चिटकारा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हाल ही में 100 मधुमेह रोगियों पर अध्ययन किया जिसे सरेबियन जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल एंड क्लिनिकल रिसर्च में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया।
मरीजों को बिना जानकारी के कुछ मरीजों को सीटाग्लिप्टिन और कुछ को बीजीआर-34 दी गई। इसके बाद चार, आठ और फिर 12 सप्ताह बाद मरीजों में आए बदलावों का विश्लेषण किया तो पता चला कि सीएसआईआर की यह दवा चार सप्ताह में बीमारी को नियंत्रण करती है।
बीजीआर-34 की खोज वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला सीमैप और एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने कुछ ही समय पहले की थी, जिसे अब तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देशों से सराहना मिली है।