नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को अधिक बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने अहम कदम उठाया है। इसके तहत रक्षा मंत्रालय ने भारतीय उद्योगों द्वारा रक्षा उपकरणों की डिजाइन और विकास के लिए नौ परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है।
रक्षा मंत्रालय ने इस बाबत एक बयान भी जारी किया है। जिसमें बताया गया है कि इन नौ परियोजनाओं में से चार को प्रथम श्रेणी में रखा गया है। रक्षा मंत्रालय ने जारी किए गए एक बयान में कहा कि इस कैटेगरी के लिए केंद्र सरकर चरणबद्ध तरीके से 90 प्रतिशत धन उपल्ब्ध कराता है।
जिन चार परियोजनाओं को इस श्रेणी में रखा गया है, उसमें भारतीय वायु सेना की भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ संचार उपकरण (राउटर, स्विच, एन्क्रिप्टर्स, वीओआईपी फोन और उनके सॉफ्टवेयर), भू-आधारित प्रणाली के साथ एयरबोर्न इलेक्ट्रो ऑप्टिकल पॉड, एयरबोर्न स्टैंड-ऑफ जैमर और भारतीय सेना के भारतीय लाइट टैंक शामिल हैं।
डीएपी-2020 के लॉन्च के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय उद्योग को भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ लाइट टैंक और संचार उपकरण जैसे बड़े टिकट प्लेटफॉर्म के विकास में शामिल किया गया है। सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है, पांच परियोजनाओं को मेक-2 कटैगिरी में रखने की पेशकश की गई है।
जिसके तहत प्रोटोटाइप विकास उद्देश्यों के लिए कोई सरकारी वित्त पोषण प्रदान नहीं किया जाएगा। इन पांच परियोजनाओं में भारतीय वायुसेना के लिए अपाचे हेलिकॉप्टर के लिए पूर्ण गति सिम्युलेटर, चिनूक हेलिकॉप्टर के लिए पूर्ण गति सिम्युलेटर, विमान के रखरखाव के लिए पहनने योग्य रोबोटिक उपकरण, यंत्रीकृत बलों के लिए एकीकृत निगरानी और लक्ष्यीकरण प्रणाली और भारतीय सेना के लिए स्वायत्त लड़ाकू वाहन शामिल हैं।