पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि श्री गणेश महापुराण सप्ताह कथा तृतीय दिवस-कथा स्थल-श्री गणेश जी महाराज मंदिर, कृषि मंडी के पास, सवाई माधोपुर रोड, उनियारा। दिनांक 9-3-2022 से 15-3- 2022 तक। कथा का समय-दोपहर 12:30 से 4:30 बजे तक। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय निवेदन एवं सहयोग-समस्त धर्म प्रेमी जनता उनियारा। मुख्य यजमान-श्री गणेश जी महाराज। आयोजक, सानिध्य एवं व्यवस्थापक- श्री घनश्याम दास जी महाराज (पुष्कर-गोवर्धन) कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मुरारी बापू गणपति-देव एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। वह अपने चार हाथों में पाश, अंकुश, दंत और वरमुद्रा धारण करते हैं। उनके ध्वज में मूषक का चिन्ह है। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, सूर्पकर्ण तथा रक्त वस्त्र धारी है। रक्त चंदन के द्वारा उनके अंग अनुलिप्त है। वे रक्तवर्ण के पुष्पों के द्वारा सुपूजित हैं। भक्तों की कामना पूर्ण करने वाले, ज्योतिर्मय, जगत के कारण, अच्युत तथा प्रकृति और पुरुष से परे विद्यमान वे पुरुषोत्तम सृष्टि के आदि में आविर्भूत हुए। इनका जो इस प्रकार ध्यान नित्य करता है। वह योगियों में श्रेष्ठ है गणेशाथर्वशीर्ष में प्रभु श्री गणपति को नमस्कार है। आप ही प्रत्यक्ष तत्व हो, आप ही केवल कर्ता हो, आप ही केवल धारणकर्ता और आप ही केवल संहारकर्ता हो। आप ही केवल यह समस्त विश्वरूप ब्रह्म हो और आप ही साक्षात् आत्मा हो। इतिहास-पुराण के निर्माता महर्षि व्यास जी श्री गणेश जी के विशेष कृतज्ञ एवं आभारी हैं। क्योंकि जब उन्हें लक्षश्लोकात्मक महाभारत नाम की शतसहस्री- संहिता का निर्माण किया, तब उन्हें चिंता हुई कि इस महान ग्रंथ का प्रचार बिना लिखे शक्य नहीं है। कुशल लेखक कोई मिल नहीं रहा है। स्मरण करते ही ब्रह्मदेव उपस्थित हुए। सर्वांतर्यामी ब्रह्मा ने व्यास का भाव जान लिया था। उन्होंने व्यास जी को आदेश दिया कि इस कार्य के लिए आप विघ्नेश्वर गणेश जी का स्मरण करें, वे ही इस कार्य के लिए उपयुक्त होंगे। व्यास के ध्यान करते ही गणपति आये और उनका मनोरथ पूरा किया। गणेश जी का वाहन मूषक रूप से दर्शाया गया है। सुबुद्धि ही कुतर्क बुद्धि को दबाने में समर्थ है। जिस प्रकार चूहा बस्तु के गुणों का ध्यान न रखकर उसे काट कर नष्ट कर देता है। उसी प्रकार कुतर्क बुद्धि भी भाव के सारासार को न देखती हुई उसे खंडित कर व्यर्थ बना देती है। इसलिए सुबुद्धि रूप गणेश का वाहन कुतर्क रूप चूहा बनाया गया है। जिस महापुरुष में सुबुद्धि जितनी विशाल होती है। उसकी अपेक्षा कुतर्क बुद्धि स्वल्प होती है। सत्संग से सुबुद्धि विशाल होती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।