पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री गणेश तत्व का आध्यात्मिक रहस्य- गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस में पार्वती जी को श्रद्धा और भगवान् शंकर को विश्वास का रूप माना है। किसी कार्य की सिद्धि के लिए श्रद्धा विश्वास दोनों का ही होना आवश्यक है। जब तक श्रद्धा न होगी तब तक विश्वास नहीं हो सकता। तथा विश्वास के अभाव में श्रद्धा भी नहीं ठहर पाती। वैसे ही पार्वती और शिव से गणेश जी हुए। अतः श्री गणेश जी और अभीष्ट पूर्ति के प्रतीक हुए। किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के पूर्व विघ्न निवारणार्थ एवं कार्य सिद्धयर्थ गणेश जी की आराधना आवश्यक है।
आज हम चमत्कारों को देखकर नमस्कार करते हैं। किंतु नमस्कार करने से चमत्कार उत्पन्न होता है। यह बात हम भूल गये हैं। चमत्कार ही आध्यात्मिक शक्ति है। यह देवताओं के नमस्कार और पूजन से सिद्ध होता है। अच्छे फल की प्राप्ति के लिए अच्छे कर्मों का अनुष्ठान न्याय संगत है। यह कर्म भूमि है बिना कर्म किये फल मात्र की कामना उचित नहीं है। विशेषतः श्रेष्ठ फल के लिए यथोचित कर्म करना पड़ता है।
भले ही आपके इष्ट देव भगवान् विष्णु अथवा भगवान् श्री शंकर अथवा परांबा दुर्गा हैं।इन सभी देवी देवताओं की उपासना की निर्विघ्नं संपन्नता के लिए विघ्नविनाशक श्री गणेश जी का स्मरण आवश्यक है। श्री गणेश जी की यह बड़ी अद्भुत विशेषता है कि उनका स्मरण करते ही सब विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं और सब कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाते हैं। लोक-परलोक में सर्वत्र सफलता पाने का एकमात्र उपाय है कि कार्य प्रारंभ करने से पहले भगवान श्री गणेश जी का पूजन स्मरण अवश्य करें। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम,
श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।