पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि इंसान जब तक दूसरे इंसान के दिल तक नहीं पहुंचेगा, तब तक ईश्वर तक नहीं पहुंच सकता। कैकेयी को आप अपनी आंखों से मत देखना। देखना ही है तो कैकयी को राम की आंखों से देखना। हमारी निगाहों से कैकयी को देखोगे तो निंदनीय लगेंगी और अगर राम की आंखों से देखोगे तो कैकयी वंदनीय लगेंगी। कोई भी क्रिया संपूर्ण रूप से शुद्ध नहीं हो सकती। श्री कृष्ण कहते हैं-‘ मा कर्मफल हेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ‘ यह ध्यान में रखना कि कर्म करेंगे तो टीका मिलने की तैयारी रखकर ही कर्म करना चाहिए। राम आये सीता आयी उन पर भी कलंक लगा और श्रीकृष्ण पर भी कलंक लगा। क्रिया को कलंक लगेगा ही। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- संगोऽस्त्वकर्मणि-अकर्म में तेरा संग न हो। मतलब, कर्म न करने में तेरी बुद्धि न हो। कर्म करने वाले मनुष्य को संसार की टीका से विचलित नहीं होना चाहिए। कोई भी क्रिया निष्कलंक या शत-प्रतिशत शुद्ध नहीं हो सकती। मगर जरा सोचिए। जिसके माथे पर कलंक लगा है, उस कैकेयी ने जगत को रामराज्य दिया है। सूक्ष्म रूप से देखें तो जब भगवान राम वन जा रहे हैं तब से ही राम राज्य के राम का जन्म हो रहा है, और रामराज्य के राम को जन्म देने वाली माता कैकयी है। कैकयी ने सारे संसार की खरी खोटी सुना, उनका सुहाग उजड़ गया, सबने उनको गलत समझा और वह खुद सोच में पड़ गई कि मेरे पति ने भी मुझे नहीं समझा। राजा दशरथ का अवसान राम के वियोग में हुआ। भरत ने पुत्र होते हुए भी संबंध तोड़ दिया। कितनी व्यथा है, कितनी अवहेलना कैकेयी ने झेली है। मगर यह सब सह कर भी उन्होंने संसार को रामराज्य का दान दिया है। रामायण की ऊंचाई नापी जा सकेगी तब बनवास से। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)।