राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मन के प्रत्येक कार्य पर विचार करना चाहिए। प्रतिदिन रात को सोने के पूर्व दिनभर के मन के कार्यों पर विचार करना उचित है। यद्यपि मन की सारी उधेड़ बुन का स्मरण होना बड़ा कठिन है, परंतु जितना याद रहे उतनी ही बातों पर विचार कर जो-जो संकल्प सात्विक मालूम दें, उनके लिये मन की सराहना करना और जो-जो संकल्प राजसिक और तामसिक मालूम पड़े उनके लिये मन को धिक्कारना चाहिये। प्रतिदिन इस प्रकार के अभ्यास से मन पर सत् कार्य करने के और असत्कार्य छोड़ने के संस्कार जमने लगेंगे। जिनसे कुछ ही समय में मन बुराइयों से बचकर भले-भले कार्यों में लग जायेगा। मन पहले भले कार्य वाला होगा, तब उसे बस करने में सुगमता होगी। कुसंग में पड़ा हुआ बालक जब तक कुसंग नहीं छोड़ता तब तक उसे कुसंगियों से खराब सलाह मिलती रहती है। इससे उसको बस में होना कठिन रहता है। पर जब कुसंग छूट जाता है, तब उसे खराब सलाह नहीं मिल सकती, दिन भर उसको माता-पिता के सदुपदेश मिलते हैं, वह भली-भली बातें सुनता है, तब उसको सुधारने में विलम्ब नहीं होता। इसी तरह यदि विषय चिंतन करने वाले मन को कोई एक साथ ही सर्वथा विषय रहित करना चाहे तो वह नहीं कर सकता। उन्होंने आगे कहा कि पहले मन को बुरे चिंतन से बचाना चाहिए, जब तक वह परमात्मा संबंधी शुभ चिंतन करने लगेगा, तब उसको बस करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।