नई दिल्ली। समुद्री सीमा को अभेद्य बनाने के लिए भारत ने अपनी समुद्री सीमा में एक महत्वपूर्ण कड़ी जोड़ दी है। कलावरी श्रेणी की अत्याधुनिक सबमरीन आईएनएस वागशीर को मुंबई के मझगांव डाक्स से लांच किया गया है। इससे नौसेना की शक्ति में काफी बढ़ोतरी हुई है। अब कोई भी दुश्मन समुद्री सीमा से हमारे देश पर आक्रमण करने से पहले कई बार सोचेगा।
यह वागशीर अपने आप में जबरदस्त खूबियों वाला है। इसको आपरेशन के समय हर परिस्थिति में संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह कई प्रकार के मिशन को अंजाम देने में पूरी तरह से सक्षम है। पनडुब्बीरोधी युद्ध, सतह विरोधी युद्ध, समुद्र क्षेत्र की निगरानी करने के साथ ही खुफिया जानकारी एकत्र करने और समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने में इसका कोई जोड़ नहीं है।
यह पनडुब्बी नौसैनिक युद्धपोतों के साथ संचार करने के लिए नई संचार प्रणालियों से लैस है। पानी की सतह पर इसकी गति 20 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि पानी के भीतर इसकी रफ्तार बढ़कर 37 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती है। यह 350 फीट गहराई में लगभग 50 दिन तक रह सकता है। यह वागशीर 18 एसयूटी टारपीडोस और एसएम 39 एक्सोसेट एंटीशिप मिसाइल को लांच कर दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकती हैं।
इसे नौसेना में शामिल होने से पहले अपनी क्षमता साबित करने के लिए करीब एक सालतक कठोर परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। इस समय जिस तरह का वैश्विक परिवेश चल रहा है और दुश्मन देश अपनी कुटिलता से बाज नहीं आ रहे हैं उसको देखते हुए थल और नौसेना के साथ ही समुद्री शक्ति को भी बढ़ाना बहुत जरूरी हो गया है। यह वागशीर पनडुब्बी दुश्मनों के लिए एक बड़ा कांटा साबित होगी और देश अपनी आत्मरक्षा के लिए काफी आत्मनिर्भर होगा।