नई दिल्ली। पड़ोसी देश श्रीलंका की सरकार ने शनिवार को दो सप्ताह पूर्व लागू आपातकाल को हटा लिया है, यह वहां के देश में सुधार का सुखद संकेत हो सकता है। देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट और सरकार विरोधी प्रदर्शन के दृष्टिगत राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने एक महीने के अन्दर दूसरी बार छह मई को मध्यरात्रि से दो सप्ताह का आपातकाल लागू किया था। राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार देश में कानून व्यवस्था में सुधार को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
पिछले दिनों सरकार समर्थकों और सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान नौ लोगोंकी मौत हो चुकी है और दो सौ से अधिक लोग घायल हुए हैं जो अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। आपातकाल लागू करके बेकाबू स्थिति पर नियंत्रण पाने में मिली कामयाबी से उम्मींद जगी है कि जनता स्थिति की गम्भीरता को समझेगी और शांति बहाली में सरकारका सहयोग करेगी। श्रीलंका के समक्ष इस समय आर्थिक संकट बड़ी चुनौती है। विदेशी कर्ज का भुगतान न कर पाने के कारण उसके सामने ईंधन आयात और खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है जिससे महंगाई उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है। कर्ज का भुगतान नहीं कर पानेके कारण अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने श्रीलंका को डिफाल्टर घोषित कर दिया है जिससे स्थिति और विषम हो गयी है। मानवीय आधार पर भारत और जापान ने श्रीलंका को लाखों डालर की खाद्य सामग्री भेजी है।
भारत ने पिछले माह श्रीलंका को ईंधन आयात के लिए अतिरिक्त 50 करोड़ डालर ऋण की सुविधा देने की घोषणा की थी जो भारत की सहृदयता को दर्शाती है। आपात स्थिति में भारत किसी भी देश को खुले हृदय से मदद करने में हमेशा आगे रहा है और आज भी है। भारत की ओर से भेजी गयी राहत सामग्रियों की पहली खेप में नौ हजार मीट्रिक टन चावल, दो सौ मीट्रिक टन दूध का पाउडर और 24 मीट्रिक टन दवाएं शामिल हैं। इन सभी का कुल मूल्य करीब 45 करोड़ रुपए है। स्थिति को देखते हुए श्रीलंका सरकार को देश में मुफ्तखोरी बंद की जानी चाहिए। अपनी योजनाओं को घाटे वाली योजना नहीं बनाए तभी इस संकटकाल से बाहर निकला जा सकता है।