बेंगलूरू। अन्तरिक्ष में बादशाहत कायम करने के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने रक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल कर विश्व में भारत का मान बढ़ाया है। रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने अग्नि, क्रूज, प्रलय की सफलता के बाद सतह से हवा में अपने लक्ष्य को भेदने वाली वर्टिकल लांच मिसाइल का सफल परीक्षण कर देश की उपलब्धियों में जहां एक और नगीना जड़ दिया है, वहीं भारत के प्रति कुटिलता का भाव रखने वाले पड़ोसी देशों को सख्त सन्देश भी दिया है।
इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों की जितनी भी सराहना की जाय कम होगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मिसाइल के सफलता पूर्वक परीक्षण के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। कोरोना वैक्सीन से लेकर बैलेस्टिक मिसाइल का निर्माण कर देश को गौरवान्वित किया है। ओडिशा तट स्थित चांदीपुर समकेतिक परीक्षण रेंज से नौसेना पोत से इसका सफल परीक्षण किया गया।
वर्टिकल लांच मिसाइल बीएल-एसआरएसएएम पोत पर तैनात की जाने वाली हथियार प्रणाली है, जो समुद्र स्किमिंग लक्ष्यों सहित सीमित दूरी के विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर कर सकती है। इससे नौसेना के जहाजों की रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी होगी। यह समुद्री खतरों के साथ आसपास के हवाई खतरों से भी निबटने में सक्षम है।
इसकी मारक क्षमता 25 से 30 किलोमीटर तक है। इसके साथ ही यह 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक अपने दुश्मनों को ढेर करने में भी सक्षम है। गति, सटीकता और मारक क्षमता इसकी बड़ी खासियत है और 360 डिग्री के कोण पर घूमकर यह मिसाइल किसी भी दिशामें प्रहार कर सकती है। आपात स्थिति में इसे किसी भी लड़ाकू जहाज से छोड़ा जा सकता है। इसमें 22 किलो वजन तक का विस्फोटक इस्तेमाल किया जा सकता है और यह रडार को भी चकमा देने में पूरी तरह सक्षम है। स्वदेशी मिसाइल प्रणाली के विकास से भारतीय नौसेना की रक्षात्मक क्षमता और मजबूत होगी।