नई दिल्ली। मंकीपाक्स का बढ़ता खतरा पूरी दुनिया के लिए गम्भीर समस्या है। पिछले दिनों वर्ल्ड हेल्थ नेटवर्क (डब्ल्यूएचएन) का इस संक्रमण के प्रकोप को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी) घोषित करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्ल्यूएचओ) की इसे वैश्विक आपातकाल घोषित करने की तैयारी इस बात का संकेत है कि इस वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है।
अमेरिका, ब्रिटेन समेत विश्व के लगभग 40 बड़े यूरोपीय देशों में मंकीपाक्स के मामले तेजी से बढ़े हैं। हालांकि सबसे पहले पश्चिमी देशों में इस वायरस के मामले सामने आए हैं। धीरे-धीरे यह वायरस पूरी दुनिया के देशों में पांव पसार रहा है। भारत में भी मंकीपाक्स ने केरल के रास्ते दस्तक दे दी है। गुरुवार को केरल के एक अस्पताल में भर्ती मरीज में संक्रमण की पुष्टि हुई है।
वह तीन दिन पहले यूएई की यात्रा से लौटा था। केरल सरकार ने सतर्कता बरतते हुए मरीज के परिवार सहित 11 अन्य यात्रियों को भी क्वारंटीन किया है। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय सक्रिय हो गया है और हालात पर नजर रखने के लिए एक उच्चस्तरीय दल केरल भेजा गया है। राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को मंकीपाक्स की रोकथाम के लिए दिशा- निर्देश जारी किए गए हैं जिनकी कड़ाई से पालन करने की जरूरत है। देश में अधिकतर संक्रामक बीमारियां केरल के रास्ते ही अन्य राज्यों में फैली हैं।
मंकीपाक्स की तरह निपाह वायरस और कोरोना का पहला संक्रमित भी इसी राज्य में मिला। राज्य सरकार को विदेशों से आने वाले यात्रियों पर सतर्क निगाह रखने की आवश्यकता है, क्योंकि केरल संक्रामक बीमारियों का प्रवेश द्वार बन रहा है जो गम्भीर चिन्ता का विषय है। मंकीपाक्स के फैलने की आशंका से देश के सभी राज्यों में सतर्कता बढ़ा दी गई है लेकिन इतना ही काफी नहीं है जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है। इसके प्रति लापरवाही कहीं कोरोना की तरह लाखों जान न ले लें।