नई दिल्ली। आज भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर तनाव के मुद्दे को लेकर कमांडर स्तर की 16वें दौर की बैठक शुरू हो गई है। आशा है कि भारत डेपसांग और डेमचोक में मुद्दों के समाधान के अलावा शेष सभी फ्रिक्शन पॉइंट्स पर जल्द से जल्द सैनिकों को हटाने के लिए दबाव डालेगा। भारत पूर्वी लद्दाख में सभी फ्रिक्शन पॉइंट्स से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने के लिए दबाव बना रहा है कि द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए सीमा पर शांति आवश्यक शर्त है।
शी जिनपिंग ने शिनजियांग का दौरा किया
इस वार्ता के एक दिन पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शिनजियांग का दौरा किया और अपने सैनिकों के साथ मुलाकात की। यह अहम माना जा रहा है क्योंकि पीपुल्स लिबरेशन एमी (पीएलए) की शिनजियांग सैन्य कमान मई 2020 से दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध के बीच लद्दाख क्षेत्र में भारत-चीन सीमा की देखरेख कर रही है।
पिछले हफ्ते बाली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत में पूर्वी लद्दाख से जुड़े विवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से इतर बाली में एक घंटे की बैठक में जयशंकर ने यी को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की जरूरत बताई थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाए जाने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तेजी लाने की आवश्यकता को दोहराया।
सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा क्षेत्र में अलगाव की प्रक्रिया पूरी की थी। पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद 5 मई 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। इसके बाद से दोनों देशों ने भारी भरकम हथियारों के साथ ही 50,000 से 60,000 सैनिकों की तैनाती की हुई है।