एस्ट्रोलॉजी। भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना सावन होता है। इस माह में सोमवार व्रत रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। आज सावन महीने के पहले सोमवार के दिन बहुत ही अच्छा शुभ संयोग बना हुआ है। चंद्रमा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में है। इसके अलावा शोभन और रवियोग भी बना हुआ है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस योग में भगवान शिव की पूजा-आराधना करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सावन सोमवार पूजा विधि:-
आज सावन का पहला सोमवार व्रत रखा जा रहा है। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना करने से सभी तरह की मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है। सावन सोमवार के दिन शिव कृपा का लाभ पाने के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए। फिर इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए शिव मंदिर में जाएं और वहां पर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें फिर इसके बाद भगवान शिव को जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल अर्पित करने के बाद बेल पत्र,मदार के फूल और धतूरा चढ़ाएं। इसके बाद शिवलिंग का श्रृंगार करते हुए दीप जलाकर आरती करें।
सावन सोमवार पूजा विधि:-
सावन के सोमवार के दिन विशेष रूप से भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है और विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं सावन सोमवार पूजा की पूरी विधि…
- सोलह सोमवार व्रत का पालन करना बहुत आसान है। शुद्ध मन और भक्ति के साथ 16 सोमवार तक व्रत का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए।
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और पूजा की सामग्री एकत्रित करें।
- व्रत का संकल्प लेने के लिए हाथ में पान का पत्ता, सुपारी, जल, अक्षत और कुछ सिक्के लेकर शिव जी का इस मंत्र से आह्वान करें- ॐ शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥
- भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए 16 सोमवार का पूजन प्रदोषकाल में किया जाता है।
- यदि आप घर में शिवलिंग पूजन कर रहे हैं तो शिवलिंग को तांबे के पात्र में रखें और गंगाजल में गाय का दूध मिलकर अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को ॐ नमः शिवाय जाप के साथ पंचामृत अर्पित करें।
- फिर भगवान भोलेनाथ को सफेद चंदन लगाएं।
- उपरोक्त दी गईं सोलह सोमवार की पूजन सामग्री भोलेनाथ और माता पार्वती को अर्पित करें।
- धूप, दीप लगाकर सोमवार व्रत की कथा पढ़ें।
- सोलह सोमवार व्रत में भगवान भोलेनाथ को पंजीरी या चूरमे का भोग लगाएं।
सावन सोलह सोमवार व्रत का महत्व:-
सावन का महीना भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सबसे अच्छा महीना माना जाता है। सावन के महीने में सोलह सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है। सावन सोमवार के साथ 16 सोमवार का व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। सुहागिन महिलाएं और अविवाहित कन्याएं भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था। मां पार्वती के 16 सोमवार का व्रत और कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस कारण से 16 सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है
सावन सोमवार पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम:-
भगवान शिव को बेलपत्र बहुत ही प्रिय होता है। इसी कारण से शिव आराधना में बेलपत्र को जरूर अर्पित किया जाता है। शास्त्रों में बेलपत्र को चढ़ाने के कुछ नियम भी बताए गए हैं। जिनका पालन करने पर भगवान शिव की पूजा सफल मानी जाती है।
- भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
- बेलपत्र को हमेशा अनामिका,अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं एवं मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवजी को अर्पित करें।
- शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें,बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
- बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ती है। कटी-फटी पत्तियां कभी न चढ़ाएं।
- कुछ तिथियों को बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है। जैसे कि चतुर्थी,अष्टमी,नवमी,चतुर्दशी और अमावस्या को,संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है।
- बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।