पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान शंकर के तिलक में मस्तक पर तीन रेखाएं होती है। मस्तक पर तीन रेखाओं का अभिप्राय है कि सृष्टि के मूल में भी तीन ही देवता हैं- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। तीनों का प्रतीक त्रिपुंड कहलाता है।त्रिपुण्ड में तीन गुण है- सत्व, रज और तम। तीन काल हैं- भूत,भविष्य और वर्तमान। तीन अवस्थाएं हैं- जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति और कर्म भी तीन होते हैं- प्रारब्ध, संचित और क्रियमाण। शिव को विल्वपत्र भी इसीलिए चढ़ता है क्योंकि इसमें तीन पत्तियां होती हैं। अखण्ड बिल्वपत्र अर्पण करना बहुत अच्छा है अन्यथा बिल्व पत्र का चूर्ण बनाकर भी चढ़ाया जा सकता है। अखंड बिल्वपत्र का बहुत ज्यादा महत्व है। शिव पर चढ़ाया गया एक बिल्व पत्र करोड़ कन्यादान का फल देता है। अखण्डैर्बिल्वपत्रैश्च पूजयेत शिवशंकरम्। कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्। त्रिदलं त्रिदलाकारं त्रिनेत्रं त्रिदायुधम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्। तीन दिल वाला बिल्वपत्र बहुत श्रेष्ठ है। यदि चार पत्ती या पांच पत्ती वाला बेलपत्र मिल जाय वह और भी ज्यादा श्रेष्ठ है।सौ बेलपत्र तीन दल वाला और चार दल वाला एक बेलपत्र बराबर होता है।तीनदल वाला हजार बेलपत्र और पांच दल वाला एक बेलपत्र बराबर है तीन दल वाला दस हजार बेलपत्र और छः दल वाला एक पत्र बराबर है। हमें छः पत्ते वालेतक बिल्वपत्र मिले हुए। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग। गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।