आध्यात्म। शास्त्रों में सावन के महात्म्य का विस्तार पूर्वक उल्लेख मिलता है। श्रावण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव शंकर का गहरा संबंध है। इस मास का प्रत्येक दिन पूर्णता लिए हुए होता है। धर्म और आस्था का अटूट गठजोड़ हमें इस माह में दिखाई देता है। इस माह की प्रत्येक तिथि शिवभक्ति के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका हर दिन व्रत और पूजा-पाठ के लिए महत्वपूर्ण रहता है। श्रावण शिवमय है, इसलिए सभी के लिए शुभ मय भी हैं।
इस माह में आसमानी जलधार से प्रकृति हरीतिमा की चादर ओढ़ लेती है। पृथ्वी पर हरियाली की चादर पड़ी हुई दिखती है। सृजन अपने चरम पर होता है। ऐसे समय में भक्त भगवान शिव को जल धार अर्पित कर अपने जीवन में शिव संकल्पों के उदय की कामना करता है। आखिर जीवन में संकल्प ही कुछ नया सृजित करने के बाध्य करते हैं। भूतभावन शिव औढरदानी है, जलधार और बिल्वपत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं, भक्तों की कामनाओं को अल्पसमय में पूरा करते हैं, इसीलिए उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है।
शिव, संयमी हैं, साधक हैं। संयम और साधना की सबसे अधिक आवश्यकता सृजनकाल में होती है। संभवतः इसीलिए श्रावण महीने, जिसमें प्रकृति का सृजन कर्म अपने चरम पर होता है, भगवान शिव से जोड़ा गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार सभी मासों को किसी न किसी देवता के साथ संबंधित देखा जा सकता है। उसी प्रकार श्रावण मास को भगवान शिव जी के साथ देखा जाता है। इस समय शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है। जिस प्रकार प्रकृति ग्रीष्म के थपेड़ों को सहती हुई सावन की बौछारों से अपनी प्यास बुझाती हुई असीम तृप्ति एवं आनन्द को पाती है, उसी प्रकार प्राणियों की इच्छाओं को सूनेपन को दूर करने के लिए यह माह भक्ति और पूर्ति का अनूठा संगम दिखाता है और सभी की अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने की कोशिश करता है। भगवान शिव इसी माह में अपनी अनेक लीलाएं रचते हैं।
इस महीने में महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है। पूर्णिमा तिथि का श्रावण नक्षत्र के साथ योग होने पर श्रावण माह का स्वरूप प्रकाशित होता है। श्रावण माह के समय भक्त शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल एवं दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं। शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इन दिनों शिवलिंग पर गंगाजल द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग का अभिषेक महाफलदायी माना गया है।