पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि काल पर जो शासन करे वह महाकाल होता है और उनकी पत्नी ही महाकाली है। मृत्यु पर जो शासन करे उसी का नाम महामृत्युंजय होता है। भगवान् विश्वनाथ महामृत्युंजय है, महामृत्यु को भी जीत लेने वाले हैं। मार्कण्डेय की मृत्यु 12 वर्ष की अवस्था में निश्चित थी, लेकिन वह निरन्तर भूतभावन विश्वनाथ शंकर की आराधना में लगे रहे और महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहे, जब यमराज उन्हें लेने आये, तब भगवान शंकर पिण्डी के अंदर प्रगट हो गये, क्योंकि मार्कण्डेय पिंडी से लिपट कर रोने लगे थे- भोले बाबा! मुझे शरीर छोड़ने का दुःख नहीं है, पर शरीर छोड़ने के बाद आपका दर्शन कैसे होगा, आपकी पूजा कैसे कर पाऊँगा? प्रभु पूजा करते-करते आपसे स्नेह हो गया है। पिण्डी के अंदर से ही भगवान् शंकर प्रगट हो गये। उनके हाथ में त्रिशूल था और यमराज से कहा- वापस जाओ।
यमराज बोले- लेकिन इनका तो समय हो चुका है, इनका काल आ चुका है। भगवान् शंकर ने कहा- मैं महाकाल हूं। इनकी मृत्यु आ चुकी है, भगवान् शंकर ने कहा- मैं महामृत्युंजय हूं। आप वापस लौट जाओ। फिर इनको लेने कब आएं प्रभु? शिव बोले- जब तक यह न चाहें, तब तक न आना। मार्कण्डेये आज भी हैं। उनकी अरबों वर्ष की अवस्था हो चुकी है और कई कल्पों तक जीवित रहने का वरदान भगवान् शंकर ने इन्हें दिया है। भगवान् शंकर के चाहने पर कुछ भी असम्भव नहीं है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश)श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।