पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि अश्वमेध यज्ञ में अवभृत (यज्ञान्त) स्नान करने से जो फल मिलता है, वही फल मनुष्य को श्रीविष्णु-महापुराण सुनने से प्राप्त होता है। प्रयाग, पुष्कर, कुरुक्षेत्र तथा समुद्र तट पर रहकर उपवास करने से जो फल मिलता है, वही फल श्रीविष्णु महापुराण सुनने से प्राप्त हो जाता है, एक वर्ष तक नियमानुसार अग्निहोत्र करने से मनुष्य को जो महान पुण्य फल मिलता है, वही पुण्य फल श्रीविष्णुमहापुराण सुनने से प्राप्त हो जाता है। ज्येष्ठ शुक्ला द्वादशी के दिन मथुरापुरी में यमुना स्नान करके श्रीकृष्ण चंद्र का दर्शन करने से जो फल मिलता है, वही फल भगवान कृष्ण में चित्त लगाकर श्रीविष्णुमहापुराण के एक अध्याय को सुनने से मिल जाता है।
यह श्रीविष्णुमहापुराण संसार से भयभीत हुए लोगों का अति उत्तम रक्षक है। अत्यन्त श्रवण योग्य तथा पवित्र करने वालों में परम उत्तम है। ये श्रीविष्णुमहापुराण मनुष्यों के दुःस्वपनों को नष्ट करने वाला है। संपूर्ण दोषों को दूर करने वाला है। परम मांगलिक और संतान तथा संपत्ति देने वाला है। इस आर्ष पुराण को सबसे पहले भगवान ब्रह्मा ने ॠभु को सुनाया था, ॠभु ने प्रियव्रत को सुनाया और प्रियव्रत ने भागुरि से कहा। फिर इसे भागूरि ने स्तम्भ मित्र को, स्तम्भ मित्र ने दधीचि को, दधीचि ने सारस्वत को और सारस्वत ने भृगु को सुनाया। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।