जम्मू कश्मीर। केन्द्र सरकार के प्रयास से धारा 370 की समाप्ति के बाद अब जम्मू- कश्मीर में अब निकट भविष्य में चुनाव कराए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सभी निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के कार्य पूर्ण हो चुके हैं। मतदाता सूची की अद्यतन बनाने की दिशा में तेजी से कार्य चल रहा हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गैर-स्थानीय लोगों को भी मतदाता सूची में शामिल किया जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया है। वहां गैर- कश्मीरियों को वोट देने और जमीन खरीदने की अनुमति देने के लिए संविधान में आवश्यक बदलाव कर दिया गया हैं। जम्मू- कश्मीर चार वर्षों से अधिक समय से बिना निर्वाचित सरकार के है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हृदयेश कुमार ने पत्रकारों से कहा है कि 20 से 25 लाख नए मतदाताओं के शामिल होने की आशा है। इससे मतदाताओं की संख्या एक-तिहाई बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि इन नये मतदाताओं में गैर-कश्मीरी भी शामिल रहेंगे। दूसरे राज्यों से जम्मू- कश्मीर में नौकरी, व्यापार, मजदूरी या पढ़ाई करने के लिए आए लोग मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे।
इसके लिए जम्मू- कश्मीर का स्थायी निवासी होना आवश्यक नहीं है। सेना और सुरक्षाबलों के जवान भी मतदाता बन सकेंगे। आशा है कि नई मतदाता सूची 25 नवम्बर तक तैयार हो जाएगी। विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी 83 से बढ़कर 90 हो गई है। नई व्यवस्था को लेकर राजनीति गरमाने लगी है।
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित अनेक नेताओं को यह नई व्यवस्था रास नहीं आ रही है और इसका विरोध भी शुरू हो गया है। इस विरोध का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि देश के अन्य राज्यों में भी दूसरे प्रदेश के रहने वाले मतदाता सूची में शामिल हैं। चूंकि अब जम्मू- कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया है। इसलिए वहां भी ऐसी व्यवस्था लागू कर दी गई है। यह पूरी तरह से उचित है। गैर-कश्मीरियों को मताधिकार उनका कानूनी अधिकार है।