नई दिल्ली। देश के आर्थिक विकास में असंघटित क्षेत्र के श्रमिकों का सबसे बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि असंघटित क्षेत्र के कामगारों की संख्या संघटित क्षेत्र के श्रमिकों से कई गुना ज्यादा है, लेकिन उनकी आर्थिक- सामाजिक सुरक्षा की स्थिति सबसे कमजोर है। वह तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं।
उन्हें हमेशा काम नहीं मिलता है और वह आर्थिक संकटों से जूझते रहते हैं। ऐसी स्थिति में असंघटित क्षेत्र के श्रमिकों की सुधि लेने का केन्द्र सरकार का निर्णय स्वागत योग्य पहल है। उनको सुरक्षा मिलनी चाहिए। यह सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है। हालांकि गैर-संघटित कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देने की कवायद शुरू हो गई है।
जल्द ही गैर-संघटित क्षेत्र के श्रमिकों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलने लगेगी। इसके लिए अस्पतालों की क्षमता का विस्तार किया जाएगा और इन अस्पतालों को आयुष्मान योजना से जोड़ा जाएगा। केन्द्रीय श्रममंत्री भूपेन्द्र यादव ने देश के 744 जिलों में ईएसआईसी की सुविधा इस साल के अन्त तक उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है।
इससे गैर-संघटित क्षेत्र के श्रमिक लाभान्वित होंगे। इसके लिए ई-श्रम पोर्टल पर अब तक 28 करोड़ गैर-संघटित क्षेत्र के श्रमिकों ने अपना पंजीकरण कराया है। इस योजना का लाभ पात्र कामगारों को मिले, इसके लिए जल्द से जल्द लेबर कोड लागू किया जाएगा। असंघटित क्षेत्र के श्रमिकों के हित में यह केन्द्र सरकार का बड़ा कदम है।
हालांकि घरेलू कामगारों का सर्वे अभी किया जा रहा है और जल्द ही इनको इस योजना से जोड़ा जाएगा, लेकिन असंघटित क्षेत्र के श्रमिकों की आर्थिक-सामाजिक सुरक्षा जरूरी है। सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है जिससे उनका आर्थिक उत्थान हो सके।