कम कार्यकाल में भी बड़े परिवर्तन की उम्‍मीदें…

नई दिल्ली। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने शनिवार को देश के 49 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के बाद सीजेआई ललित ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति का निर्वहन करते हुए अपने 90 वर्षीय पिता एवं बाम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व जज उमेश रंगनाथ ललित के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

न्यायमूर्ति यूयू ललित देश के पहले ऐसे सीजेआई हैं जिनका कार्यकाल सबसे कम मात्र 74 दिन होगाजो अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यद्यपि कार्यकाल छोटा अवश्य है लेकिन अपने अनुभव और कुशाग्र बुद्धि से बहुत बड़ा काम कर सकते हैं। यह उनका गुरुतर दायित्व बनता है कि अल्प अवधि में न्याय में अवरोधक बने कमियों को दूर करते हुए कीर्तिमान स्थापित करें।

सीजेआई ने भी इस दिशा में ठोस और सार्थक कदम उठाने का संकेत दिया है। शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले सम्बोधन में प्राथमिकता को रेखांकित करते हुए संविधान पीठ (पांच जजों की) के गठन की मंशा जताईजो संवैधानिक मुद्दों पर स्पष्टता से फैसला दे। शीर्ष न्यायालय ने हाल में ही निर्देश दिया है कि 29 अगस्त से संविधान पीठ वाले 25 महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की जाएगी।

सीजेआई यूयू ललित शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान जहां एक ओर अयोध्या विवाद सहित कई मामलों की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था वहीं दूसरी ओर तीन तलाक और स्किन टू स्किन टच‘ समेत कई अहम फैसलों का हिस्सा भी रहे। लम्बित मामलों को गम्भीरता से लेते हुए न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि वह मुकदमों की सूचीबद्धता को पारदर्शी और आसान बनाएंगे। देश की जनता को उम्मींद ही नहीं विश्वास है कि नए सीजेआई अपने अल्पकाल में न्यायपालिका को नई ऊंचाई देंगे।

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