पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि उपासना से मन केंद्रित होने पर ध्यानस्थ और समाधिस्थ होने की पद्धति-सनातन धर्म की पद्धति क्रमिक विकास की है। चलो चलो, कुछ करते रहो, पूजा-पाठ ध्यान। पराम्बा भगवती एक दिन आप पर अवश्य कृपा करेंगी। श्रीरामकृष्ण परमहंस ने भगवती की पूजा की, मां ने दर्शन दिये। आज भी वह मूर्ति कलकत्ता में है, जिसे दक्षिण काली कहते हैं। वहां श्रीरामकृष्ण परमहंस जी के पास एक तोता गिरी संत आये, बोले- क्या माँ! माँ! करते रहते हो? थोड़ा योगाभ्यास करो। उनका बैकग्राउंड तैयार ही था। बोले- मां से पूछ लूँ। तोता गिरी संत ने कहा हां! पूँछ लो। मां ने संकेत दे दिया। मां ने कहा योगाभ्यास सीख लो। जाकर बैठ गये। जैसे ही उस संत ने ध्यान बताया और जरा सा-हाथ लगाया, समाधि लग गई तो लग गई और सात दिन तक वह बैठे रहे। जब उनकी आंखें खुली, तब तोतागिरी, श्री रामकृष्ण परमहंस जी के सामने हाथ जोड़ने लगे और बोले मैंने चालीस वर्ष प्रयास करके जो पाया, तुमने मिनटों में कर लिया। यह सब कैसे हुआ? श्री रामकृष्ण परमहंस बोले मां की उपासना का फल है। यह सब मां की कृपा से हुआ है। हम आप भी उपासना करें, उपासना करते-करते जब बसना मिट जायेगी, मन केंद्रित हो जायेगा, तब ध्यान बहुत बढ़िया ललेगा। फिर भी प्रयास करते रहना चाहिए। प्रातः काल उठकर दूसरा चिंतन न करते हुए ब्रह्मरंध्र में, सहस्रार में शिव शक्ति, आज्ञा चक्र में गुरु का ध्यान करें। शरीर में छः चक्र हैं। चक्रों के देवता वहां बिठाने पड़ते हैं, मूलाधार में गणपति, समाधि स्थान में ब्रह्मा, मणिपूरक में विष्णु, अनाहत में शंकर, कंठ में जीवात्मा, आज्ञा चक्र में गुरु और सहस्रार में शिव-शक्ति, परम चिन्मय तत्व को बिठाकर ध्यान करना आराधना है। इनका पूजन भिन्न-भिन्न प्रकार से किया जाता है और इन चक्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार का ध्यान- यह एक स्वतंत्र विषय है, जैसे डॉक्टर बनना एक स्वतंत्र विषय है, इंजीनियर बनना एक स्वतंत्र विषय है और उसके लिए काफी कुछ करना पड़ता है। इस प्रकार की साधना के लिए भी, थोड़ा समय निकाल कर जब आप चिंतन में डूबेंगे, तब यह बात समझ में आएगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।