नई दिल्ली। देश में अब जगह-जगह दुकानों पर कॉन्टैक्ट लेंस दिखाई नहीं देगा। कॉन्टैक्ट लेंस विक्रेताओं को केंद्र सरकार ने लाइसेंस प्रक्रिया के अधीन कर दिया है, जिसके तहत बगैर लाइसेंस कॉन्टैक्ट लेंस की बिक्री करना दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा कैंसर उपचार से जुड़े उपकरण और
दांतों में इस्तेमाल होने वाले उपकरण व इम्प्लांट को भी लाइसेंस के दायरे में लाया गया है। ये नियम एक अक्टूबर से देशभर में लागू हो गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने औषधि व प्रसाधन अधिनियम को विस्तार देते हुए
कॉन्टैक्ट लेंस बिक्री को लाइसेंस प्रक्रिया के तहत शामिल किया है। देश में कॉन्टैक्ट लेंस का कारोबार करीब 473 करोड़ रुपये है। रिसर्च एंड मार्केट्स की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2019 से 2025 तक कॉन्टेक्ट लेंस का राजस्व के लिहाज से कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की प्रोफेसर डॉ. राधिका टंडन बताती हैं कि आंख की पुतली बहुत ही साफ और पारदर्शी होती है। इसमें संक्रमण या सूजन से केरेटाइटिस बीमारी होती है। वहीं एमटीएआई के अध्यक्ष व महानिदेशक पवन चौधरी का कहना है कि अभी तक
ऑप्टिकल स्टोर्स और कॉन्टैक्ट लेंस क्लीनिकों के लिए लाइसेंस जरूरी नहीं था। इसके बगैर ही दुनिया के कई देशों तक उत्पाद आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन नए सेल लाइसेंस नियम के बाद अब हजारों ऑप्टिकल दुकानों को रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया से गुजरना होगा, लेकिन इनमें से अधिकांश इकाइयों को सेल
लाइसेंस की प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है। सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते कुछ साल में, कॉन्टैक्ट लेंस की बिक्री काफी तेजी से बढ़ी है। खासतौर पर युवा वर्ग में इनकी मांग अधिक है और ये अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए इस तरह के लेंस पर निर्भर भी हैं।
इसलिए इस व्यवसाय को लाइसेंस के अधीन लाना जरूरी था। उन्होंने बताया कि अभी तक दिल्ली जैसे शहरों में बिना किसी नियमों के तहत बेचे जा रहे थे। अक्सर छोटे छोटे उन स्टोर पर भी ये लेंस मिल जाते हैं, जो चश्मे की बिक्री करते हैं, लेकिन इन लेंस की गुणवत्ता को लेकर कोई गारंटी नहीं होती है,
जिसका सीधा नुकसान लोगों को होता है। सीडीएससीओ के मुताबिक नए नियमों के बाद दंत व कैंसर की सर्जरी में इस्तेमाल कैंची से लेकर रेडिएशन थेरेपी तक में शामिल उपकरण और इम्प्लांट को लाइसेंस के दायरे में लाया गया है। इन उपकरण की जानकारी सभी राज्यों के औषधि नियंत्रण विभाग और व्यवसाय से जुड़े संगठनों को दी गई है।