पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण का ग्यारहवां स्कंध-आध्यात्मिक दर्शन-भारतीय वांग्मय आकाश की भांति विशाल, सागर की भांति अथाह, पर्वत की भांति ठोस और सूर्य की तरह तेजोमय है। इसमें चंद्रमा की शीतलता, तो गंगा की पावनता है, सरस्वती मां का ज्ञान, ब्रह्मदेव का तत्व, शंकर भोले का तप और विष्णु भगवान् की भक्तवत्सलता कूट-कूट कर भरी है। सनातन धर्म की इस विशालता का पार पाना किसी भी मानव विद्वान के लिये कठिन है। शास्त्रों में प्रयोग की गई शब्दावली, कथाओं का भाव जगत, पौराणिक और वैदिक सार सबके लिये जानना कठिन है। श्री कृष्ण उद्धव संवाद भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए वरदान सिद्ध होता है। इसमें अनेक पहेलियों को सुलझाने और सरल बनाकर समझाया गया है। श्री कृष्ण उद्धव संवादः भगवान् श्री कृष्ण 125 वर्ष वर्षों तक लीलाएं करते रहे। उन्होंने जहां दुष्टों का संहार किया, धर्म की स्थापना की, वहां अभूतपूर्व ज्ञान की धरोहर भी भावी पीढ़ी के लिये छोड़ी। भागवतकार लिखते हैं: कृष्णस्तु स्वयं भूतानाम्ईश्वरोऽपि सन्। श्री कृष्ण साक्षात् परमात्मा हैं। वे गीता में स्वयं को भगवान् कहते हैं। उद्धव जी, जो देवताओं के मूर्धन्य विद्वान गुरु बृहस्पति जी के शिष्य, भगवान् कृष्ण के सखा भी हैं, वे ज्ञान में भगवान् कृष्ण के समान ही माने गए हैं। उन्होंने लोक कल्याण हेतु महत्वपूर्ण प्रश्न उठाये, जिनका उत्तर भगवान कृष्ण ने अपनी ईश्वरीय वाणी में दिया। इस उत्तर माला का समाज और धर्म के लिये विशेष महत्व है। जिसका हम आप भागवत में चिंतन मनन करते रहते हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।