पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, स्वयं अभय रहना और दूसरों को अभय करना ही ‘ अभय ‘ है। वही निर्भय रह सकता है जो दूसरों को भय न देता हो। ईश्वर पर विश्वास और सत्य का अनुपालन व्यक्ति को अभय बनाता है। दूसरों को भयभीत करने वाले स्वयं अधिक भयभीत रहते हैं। खेत को गेहूं देने वाला, गेहूं ही प्राप्त करता है। खेत में चना बोया जायेगा तो वह चना ही लौटायेगा। क्रिया की प्रतिक्रिया अवश्य होती है। चार वेद छः शास्त्र में बात मिली है दोय।दुःख दीन्हे दुःख होत है सुख दीन्हे सुख होय, नवम् पातशाही गुरु तेग बहादुर जी ने उस व्यक्ति को ज्ञानी कहा है, जो किसी को भय नहीं देता। भै काहु कह देत नहि, नहि भय मानत आन। कहु नानक सुनि रे मना, ज्ञानी ताहि बखनी।। अर्थात् जो व्यक्ति दूसरे को भयभीत नहीं करता, स्वयं भी अभय रहता है, ज्ञानवान कहलाता है। अतः” जियो और जीने दो “।का जयघोष मनीषियों ने इसी आधार पर किया है इन 12 यमों का पालन व्यक्ति में संयम का संचार करता है। संयम का नाम यम है। महर्षि श्री पतंजलि जी ने 5 यमों का विवेचन किया है। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)