DGP के सम्मेलन में हुआ खुलासा- चीन हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को करना चाहता है कम

नई दिल्‍ली। हाल ही में डीजीपी और आईजीपी के संपन्न सम्मेलन में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों द्वारा पेश किए गए कागजात में चीन की चालबाजी का खुलासा हुआ है। इस कागजात में लिखा गया है कि चीन दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया में विकास कार्यों के लिए ऋण के नाम पर भारी मात्रा में धन मुहैया कराकर हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कम करना चाहता है। वह पैसे के दम पर पड़ोसी देशों को भारत के खिलाफ भड़काने का काम कर रहा है। इस तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और देश के लगभग 350 शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने हिस्‍सा लिया।

कागजात में अहम खुलासे :-
इस कागजात में बताया गया है कि चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), भारत के पड़ोसी देशों में आसान ऋण, हॉट बॉर्डर और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के माध्यम से अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसमें आगे बताया गया है कि पिछले ढाई दशकों में चीन का आर्थिक और सैन्य विकास बड़े पैमाने पर हुआ है और भारत के विस्तारित पड़ोस में चीनी गतिविधियां और प्रभाव आनुपातिक रूप से बढ़ा है।

कागजात में आगे बताया गया है कि चीन यह सब इसलिए कर रहा है  ताकि भारत को परिणामी चुनौतियों का सामना करने के लिए बाध्य और व्यस्त रखा जाए। द्विपक्षीय मुद्दों को अपनी शर्तों पर हल करने के लिए मजबूर किया जाए। भारत की विकास की कहानी को रोक दिया जाए। चीन चाहता है कि भारत के प्रभाव को कम करके वह एशिया में मनमानी करे और उसके अनैतिक लक्ष्य प्राप्त करने में कोई परेशानी न आए। इसके लिए चीन ड्रैगन पानी की तरह पैसा बहाने के लिए तैयार है।

कागजात के अनुसार, चीन अपने दक्षिण एशियाई परिधि के प्रति अधिक चौकस हो गया है, वाणिज्यिक और विकास कार्यों से आगे बढ़कर अधिक दूरगामी राजनीतिक और सुरक्षा तक पहुंच गया है। इसमें बताया गया है कि चीन बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य वित्तीय सहायता के नाम पर भारत के पड़ोसी देशों मुख्य रूप से पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका में भारी मात्रा में धन का इन्‍वेस्‍ट कर रहा है।

इस कागजात में आगे कहा गया है कि भारत के पड़ोसी देशों ने चीन को एक महत्वपूर्ण विकास भागीदार के रूप में वर्णित किया है, या तो एक फंडर के रूप में या तकनीकी और रसद सहायता प्रदान करने में। इसके अतिरिक्त, यह बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए माल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और नेपाल और मालदीव के लिए दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।

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