विदेश। अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस अदाणी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी के बाद से ही चर्चा में हैं। मोदी सरकार के मंत्रियों ने सोरोस की भारतीय लोकतंत्र को लेकर की गई टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर की है। वहीं, विपक्ष ने भी सोरोस पर निशाना साधा है। इस बीच अपने सीधे और स्पष्ट तर्कों से भारत की विदेश नीति का परिदृश्य रखने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोरोस के बयान को लेकर टिप्पणी की है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सोरोस मानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक नहीं है। कुछ समय पहले ही उन्होंने हम पर आरोप लगाया था कि हम करोड़ों मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि जाहिर तौर पर नहीं हुआ। मैं कह सकता है कि मिस्टर सोरोस एक बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले व्यक्ति हैं, जो कि अभी भी न्यूयॉर्क में बैठे हैं और सोचते हैं कि उनके विचारों से फैसला होना चाहिए कि पूरी दुनिया कैसे चलेगी। उन्होंने आगे कहा कि मैं सोरोस को सिर्फ बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाला कहकर रुक सकता हूं। लेकिन वे बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले के साथ खतरनाक भी हैं। जब ऐसे लोग और संस्थान विचार रखते हैं, तो वे अपने संसाधनों को नैरेटिव गढ़ने में लगा देते हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सोरोस जैसे लोगों को लगता है कि चुनाव तभी अच्छे हैं, जब उनकी पसंद का व्यक्ति जीत जाए। लेकिन अगर चुनाव का नतीजा कुछ और होता है, तो वह उस देश के लोकतंत्र को त्रुटिपूर्ण कहने लगते हैं और यह सब एक खुले समाज की वकालत करने के नाम पर किया जाता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने लोकतंत्र पर अपनी राय रखते हुए कहा कि आज जब मैं अपने लोकतंत्र को देखता हूं। यहां पर मतदाताओं की भागीदारी, जो कि अभूतपूर्व ह; चुनाव के नतीजे, जो कि निर्णायक हैं; चुनावी प्रक्रिया, जिस पर सवाल नहीं उठते। हम वह देश नहीं हैं, जहां चुनाव के बाद इसे चुनौती देने के लिए कोई कोर्ट जाता है।
क्या बोले थे जॉर्ज सोरोस?
अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस का कहना है कि गौतम अदाणी के कारोबारी साम्राज्य में मची उथल-पुथल से शेयर बाजार में बिकवाली आई है और इससे निवेश के अवसर के रूप में भारत में विश्वास हिला है। यह देश में लोकतांत्रिक पुनरुद्धार के दरवाजे खोल सकता है। सोरोस के इस बयान पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है।