जम्मू कश्मीर। शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (स्कॉस्ट) कश्मीर और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की ओर से आयोजित मेले का उद्घाटन विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर प्रसाद ने किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में स्कॉस्ट कश्मीर में दाखिला लेने के इच्छुक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश विवरणिका का विमोचन किया गया।
नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के पहले अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा मेले को संबोधित करते हुए एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि पांच अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर को एक ज्ञान समाज के रूप में विकसित किया जा रहा है। पिछले तीन साल में जम्मू-कश्मीर में छह लाख स्वरोजगार पंजीकृत हुए है यानी की प्रतिदिन 580 युवाओं ने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा को शुरू किया है।
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अपना उद्योग शुरू करने के लिए देश सहित विदेश से औसतन प्रतिदिन 12 औद्योगिक घरानों से आवेदन आ रहे हैं। 2022 में प्रतिदिन औसतन एक उद्योग जम्मू-कश्मीर में शुरू हुआ है। वहीं इस वर्ष 45 दिनों में 52 उद्योग जम्मू -कश्मीर में शुरू हुए हैं। यह परिणाम प्रधानमंत्री के पथ प्रदर्शक निर्णय का है। कहा कि 2022 में जम्मू-कश्मीर में प्रतिदिन 12 लाख ई- लेन-देन हुआ है जो रिकॉर्ड है। जम्मू-कश्मीर में 150 उच्च शिक्षा संस्थान हैं। दो केंद्रीय विश्वविद्यालय, सात राज्य विश्वविद्यालय, दो एम्स, आईआईटी, आईआईएमसी, एनआईईटी, निफ्ट और दो कृषि व विज्ञान विश्वविद्यालय है जो देश सहित विदेश के लिए विद्यार्थियों को आकर्षित कर रहे है।
एलजी मनोज सिन्हा ने आगे कहा कि हमनें पिछले वर्ष कृषि और संबद्ध क्षेत्र के समग्र विकास के लिए शीर्ष समिति का गठन किया है। समिति की अनुशंसा पर 530 करोड़ रुपये की लागत से 29 प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर आज केसर, सेब, अखरोट और बादाम के उत्पादन में नंबर एक पर है। पिछले तीन वर्षों में सुधार प्रक्रिया को बनाए रखने में जम्मू-कश्मीर पांच राज्यों में शामिल हैं जहां किसानों की मासिक आय अच्छी है। पशुधन क्षेत्र को बदलने के लिए पिछले वर्ष न्यूजीलैंड के साथ एमओयू भी किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को अधिक आमंत्रित करें कैंपस: विदेश मंत्री एस जयशंकर
केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई। इससे विकास तथा प्रगति की वे सभी सुविधाएं जम्मू-कश्मीर को मिलनी शुरू हो गई जो शेष भारत को बहुत पहले ही मिल रही थी। खासकर जम्मू कश्मीर के युवाओं को। इस दृष्टि से जम्मू-कश्मीर के लोगों का देश की मुख्यधारा में शामिल होना नितांत आवश्यक था। इससे यहां के लोग शेष भारत तथा अंतर्राष्ट्रीय धारा में शामिल हो सके। मेरे लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह महत्वपूर्ण है कि वह पूरे विश्व में क्या हो रहा है इससे जुड़ सके। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय विश्वविद्यालय अपने कैंपस में ज्यादा से ज्यादा विदेशी छात्रों को बुलाएं।
आज विश्व के 78 देशों में भारत के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। यदि हमारे रिश्ते बेहतर हुए तो ज्यादा निवेश आएगा और नेटवर्किंग भी बेहतर होगा। आज के वैश्विक युग में यह आवश्यक है कि भारत के युवा यह अच्छी तरह जानें कि विश्व में क्या हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के आपके बीच होना ही इसका बेहतर विकल्प है।
राष्ट्रीय शिक्षा से शिक्षा क्षेत्र का हो रहा अंतरराष्ट्रीयकरण: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर विकास की एक नई सुबह देख रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने से शिक्षा क्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो रहा है। शिक्षा मंत्रालय स्कॉस्ट-कश्मीर के वैश्वीकरण का समर्थन, प्रोत्साहन और सुविधा देगा। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति कौशल और स्टार्ट-अप के अवसरों को खोलने का वादा करती है।